12 मई को वर्ल्ड नर्सिंग डे था. नर्स शब्द सुनते ही, हमारे दिमाग में तस्वीर आती है शहरी अस्पतालों की नर्सों की. लेकिन भारत गांवों का देश है. और इस गाँव में वो लोग हैं जो भारत के गांव-कस्बों में नर्सिंग का काम संभाल रही हैं – ये है आशा वर्कर्स.
आइये जानते हैं आशा वर्कर कौन है :
आशा वर्कर यानी गांव की हेल्थ वॉरियर. पद केंद्र सरकार के अधीन होता है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत आशा वर्कर की नियुक्ति गांव स्तर पर होती है. NHM लोगों की सेहत से जुड़ी तमाम जानकारियां और योजनाएं बनाता है. इन बेसिक जानकारियों को ग्रामीणों तक पहुंचाने और सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ उन्हें दिलवाने का काम होता है आशा कार्यकर्ताओं का. ये मुख्य रूप से महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर काम करती हैं. पूरे गांव में कौन महिला प्रेग्नेंट है, किनके घर में छोटा बच्चा इसकी पूरी जानकारी आशा वर्कर्स रखती हैं. ये उन्हें प्रेग्नेंसी, पीरियड, टीकाकरण, ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी जानकारियां देती हैं, जरूरत पड़ने पर गांव के लोगों को अपने साथ अस्पताल भी लेकर जाती हैं. एक तरह से इन्हें गांव की फर्स्ट एड पर्सन कहा जा सकता है.
इनके कंधों पर गांव के सेहत की जिम्मेवारी
इन आशा वर्करों के कंधों पर पुरे गाँव की जिम्मेवारी होती है । ग्रामीन इलाकों में इनका काम अस्पताल और मरीज के बीच सेतू का रहता है। ये न केवल लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करती है अपितु उनके स्वस्थ रहने में एक बड़ा रोल भी निभाती है । प्राथमिक उपचार के लिये भी लोग इन्ही के पास आते हैं ।
बदले में क्या मिलता है
आशा बहू को नए नियम के अनुसार प्रतिमाह कम से कम एक हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलेगा। अलावा स्वास्थ्य योजनाओं को क्रियान्वयन के बदले मिलने वाली धनराशि भी डेढ़ से लेकर दो गुनी हो गयी है। टीकाकरण व गर्भवती माताओं को सुविधाएं देने पर पहले आशा बहुओं को 150 रुपये मिलते थे अब 200 रुपये मिलेंगे। ब्लाक स्तरीय मीटिंग में शामिल होने पर 100 रुपये मिलते थे अब 150 रुपये मिलेगा। गांव में किशोरियों व गर्भवती महिलाओं की बैठक पर अब प्रतिमाह 150 रुपये मिलेंगे।
अभिलेखों के रखरखाव व अपडेट रखने पर 500 रुपये प्रतिमाह मिलेगा। पहले यह धनराशि एक वर्ष में 750 रुपये ही थी। इन चारों को मिलाकर एक हजार रुपये प्रतिमाह सीधे उनके खाते में पहुंचेगा। टीवी मरीज को दवा खिलवाने पर 250 रुपये से 2500 रुपये पहले इन्हें मिलता था। अब इन्हें 1000 से 5000 रुपये मिलेगा। कुष्ठ रोगी का इलाज कराने पर पहले 300 से 500 रुपये प्रति मरीज मिलते थे। अब 650 रुपये से 850 रुपये तक मिलेंगे। मलेरिया के रक्त स्लाइड बनाने पर पहले प्रति स्लाइड 5 रुपये मिलते थे। अब 15 रुपये प्रति स्लाइड मिलेगा। मलेरिया पाजिटिव पाए जाने पर व पूर्ण उपचार देने पर पहले 20 रुपये मिलते थे। अब उन्हें 75 रुपये प्रति मरीज मिलेंगे। हाइड्रोसील व फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों की सूची बनाने पर 200 रुपये दिए जाएंगे। प्रसव के उपरांत महिला को कापर-टी लगवाने पर 150 रुपये का उत्साहवर्धन किया जाएगा।