दिल्ली हिंसा में मारे गए शहीद कॉस्टेबल रतन लाल का पार्थिव शरीर कल उनके घर सिकर लाया गया । जिस ट्रक से उनका शव लाया गया उस पर एक मैसेज लिखा था । मैसेज में लिखा था –
‘दुश्मनों के बीच से जिंदा आया भारत का लाल, वतन में छिपे गद्दारों के हाथों मरे श्री रतनलाल।।।। सैल्यूट ।’
ट्रक पर वायुसेना के अधिकारी अभिनंदन और रतन लाल की तस्वीरें भी थीं । ये स्लोगन दिखा रहा था कि विंग कमांडर अभिनंदन पाकिस्तान से भी सकुशल वापस आ गए थे । लेकिन अपनों के बीच में भी रहकर श्री रतनलाल मारे गए ।
रतन लाल1998 में दिल्ली पुलिस में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। 2004 में जयपुर की रहने वाली पूनम से उनका विवाह हुआ था। जब रतन लाल की पत्नी पूनम को पति के शहीद होने की खबर मिली वह बेहोश हो गई थीं। रतन लाल अपने पीछे तीन बच्चों, सिद्धि (13), कनक (10) और राम (8) को छोड़ गए हैं।
रतन लाल के छोटे भाई दिनेश ने कहा था- “रतन लाल गोकुलपुरी के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) के रीडर थे। उनका तो थाने-चौकी की पुलिस से कोई लेना-देना ही नहीं था। वो तो एसीपी साहब मौके पर गए, तो सम्मान में रतन लाल भी उनके साथ चला गया। दिनेश ने कहा- ‘आज तक हमने कभी अपने भाई में कोई पुलिस वालों जैसी हरकत नहीं देखी।’ वहीं, दिल्ली पुलिस के सहायक उप-निरीक्षक हीरालाल ने कहा- ‘मैं रतन लाल के साथ करीब ढाई साल से तैनात था। आज तक मैंने कभी उसे किसी की एक कप चाय तक पीते नहीं देखा।’
दिल्ली में रतन लाल बुराड़ी के अमृत विहार कॉलोनी में रहते थे। रतन लाल को श्रद्धांजलि देने के लिए दिल्ली के राज्यपाल भी पहुंचे थे।