जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधान हटने के बाद केंद्र सरकार एक और बड़ा फैसला लेने की तैयारी में है। केंद्र सरकार ने बंद पड़े मंदिरों और स्कूलों को लेकर एक सर्वे कराने का आदेश दिया है। जिसके बाद संभवत: उन्हें खोला जाएगा। यह आदेश ऐसे समय पर आया है जब भारतीय समयानुसार रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में कश्मीरी पंडितों से मुलाकात की और कहा कि आपने बहुत कष्ट झेले हैं।
सोमवार को बंगलूरू में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा, ‘हमने कश्मीर घाटी में बंद स्कूलों की संख्या का सर्वेक्षण करने और उन्हें फिर से खोलने के लिए समिति का गठन किया है। बीते सालों में घाटी के लगभग 50 हजार मंदिर बंद कराए गए हैं। जिसमें से कुछ को नष्ट कर दिया गया और मूर्तियों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। हमने इस तरह का सर्वे करने के आदेश दे दिए हैं।’ माना जा रहा है कि बंद पड़े मंदिरों को दोबारा खोला जा सकता है।
सरकार करा रही है सर्वेक्षण
इस बात की पुष्टि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने खुद सोमवार को की है। उनके मुताबिक जम्मू-कश्मीर को अस्थायी तौर पर मिले विशेष दर्जे को खत्म किए जाने और सूबे को दो केंद्र शासित प्रदेशों के तौर पर पुनर्गठन के बाद अब केंद्र सरकार घाटी में सालों से बंद पड़े मंदिरों को खोलने की तैयारी में है। उन्होंने बताया कि इसके तहत कश्मीर घाटी में बंद पड़े मंदिरों के सर्वे के लिए एक समिति का गठन किया है और उन्हें दोबारा खोला जाएगा। एक अनुमान के मुताबिक पिछले कुछ सालों में करीब 50 हजार मंदिर बंद हुए हैं, जिनमें से कुछ नष्ट हो गए थे और मूर्तियां टूटी हुई हैं। सरकार ने ऐसे मंदिरों के सर्वे का आदेश दिया है।
कश्मीरी पंडितों की वापसी की ओर पहला कदम
गौरतलब है कि 90 के दशक में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का दौर शुरू होने के बाद घाटी से लाखों की संख्या में कश्मीरी पंडितों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा था। आतंकियों ने बड़े पैमाने पर कश्मीरी पंडितों का नरसंहार किया था और तमाम मंदिरों को भी नुकसान पहुंचाया था। पंडितों के पलायन के बाद घाटी में कई मंदिर बंद हो गए। इनमें शोपिया में भगवान विष्णु का मंदिर और पहलगाम में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर भी शामिल है।