चूहों पर किए गए अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने कहा है कि हल्दी में पाए जाने वाले करक्यूमिन से सिरोसिस यानी लीवर की बीमारी को ठीक किया जा सकता है। ब्रितानी मेडिकल जर्नल में यह अध्ययन प्रकाशित किया गया है। आस्ट्रिया के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया कि चूहों को दिए गए करक्यूमिन से जलन कम होती है। जलन की इस बीमारी से लीवर की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती है। करक्यूमिन के कारण ही हल्दी का रंग पीला होता है।
इसके पहले हुए अध्ययनों में कहा गया था कि इसके एंटी-इनफ्लेमेटरी और एंडीआक्सीडेंट गुणों के कारण यह रोगों से आसानी से लड़ सकता है। वहीं कुछ अन्य अध्ययनों में यह बताया गया था कि यह कैसर के ट्यूमर को दबा देता है।
जो लोग, मसालेदार खाना अधिक खाते हैं, उनमें कैसर की संभावना कम होती है। आस्ट्रिया के वैज्ञानिक यह पता लगाना चाहते थे कि करक्यूमिन लीवर की बीमारियों को कुछ समय के लिए टाल सकता है या नहीं। इन स्थितियों में प्राइमरी स्वलेरोसिंग और प्राइमरी बिलिअरी सिरोसिस प्रमुख हैं। ये दोनों स्थितियां जीन संरचना में किसी कमी या स्व-प्रतिरक्षित बीमारियों के कारण हो सकती हैं। इन
दोनों स्थितियों में लीवर को कई तरह का नुक्सान पहुंच सकता है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि इससे उत्तकों को नुक्सान पहुंच सकता है और अंतत: घातक लीवर सिरोसिस हो सकता है। इस अध्ययन के प्रमुख आस्ट्रिया के ग्राज के चिकित्सा विश्वविद्यालय के गैस्ट्रोइंट्रोलोजी और हिपोटोलोजी (लीवर का अध्ययन) के माइकल टर्नर थे। इस दल ने लीवर की गंभीर बीमारियों से पीड़ित चूहों को करक्यूमिन मिला हुआ और बिना करक्यूमिन वाला खाना दिया। वैज्ञानिकों ने चार से आठ हफ्ते तक इन चूहों के खून और उत्तकों का विश्लेषण किया। इसमें पता चला कि करक्यूमिन युक्त खाने ने पित्त की नली की रूकावट को महत्वपूर्ण रूप से दूर कर दिया और लीवर की कोशिकाओं का खराब होना रोक दिया।
यह अध्ययन अभी शुरूआती दौर में है लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि भविष्य में इससे लीवर की बीमारियों का इलाज हो सकता है। इसके पहले अमेरिकी वैज्ञानिकों ने 2००7 में कहा था कि उन्होंने पता लगाया है कि करक्यूमिन अल्जाइमर की बीमारी में प्रतिरक्षा तंत्र की कोशिकाओं को प्रोत्साहित करता है।