नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) पर देशभर में विरोध प्रदर्शनों के बीच केरल की सभी मस्जिदों में तिरंगा फहराया गया और भारत के संविधान की प्रस्तावना पढ़ी गई। गणतंत्र दिवस के मौके पर रविवार (26 जनवरी) को आयोजित इन कार्यक्रमों का मकसद राष्ट्र एकता को प्रोत्साहित करना है। खास बात यह है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब पूरे प्रदेश की सभी मस्जिदों में पहली बार तिरंगा फहराया गया।
‘डर रहे मुस्लिमों को मिलेगा भरोसा’
केरल राज्य वक्फ बोर्ड ने सभी महल समितियों को सर्कुलर भेजे थे, जिसमें राष्ट्र के संविधान की रक्षा की शपथ लेने और सुबह साढ़े 8 बजे तिरंगा फहराने का आदेश दिया गया था। यह सर्कुलर मस्जिदों को भी भेजा गया था। सत्ताधारी सीपीएम की राज्य समिति के सदस्य टीके हमसा राज्य वक्फ बोर्ड के चेयरमैन भी हैं। उन्होंने कहा, ‘देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है। हम लंबे समय तक खामोश नहीं रह सकते हैं। मुस्लिम समुदाय के लोग अभूतपूर्व डर को महसूस कर रहे हैं। ऐसे में इस तरह की गतिविधियां राष्ट्र की अखंडता को उन्नत करती है और उन भयभीत लोगों में भरोसा पैदा करती हैं।’
राज्यभर में फैली मानव श्रृंखला भी बनाई
उत्तर केरल के मालाबार इलाके में कई धार्मिक संस्थाओं ने इस तरह के कार्यक्रमों का आदेश जारी किया था। इसके साथ ही सत्ताधारी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट ने एक मानव श्रृंखला भी बनाई, जिसने राज्य के सभी 14 जिलों को कवर किया। लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट ने दावा किया कि देशभर में पिछले महीने शुरू हुए CAA विरोधी प्रदर्शनों के बाद यह सभी बड़ी मानव श्रृंखला है। फ्रंट के संयोजक ए विजयराघवन ने कहा कि मानव श्रृंखला में करीब 70 लाख लोगों के होने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, पोलित ब्यूरो के सदस्य और कई लेखक-बुद्धिजीवी भी इसमें शरीक हुए।
केरल पहला राज्य जिसने यूं विरोध किया
CAA के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों में केरल ने मुख्य भूमिका निभाई है। केरल देश का पहला राज्य है जहां एक इसके खिलाफ एक प्रस्ताव पास किया गया और सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। केरल सरकार ने 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए फास्ट्र ट्रैक व्यवस्था वाले CAA का विरोध कर रही है। विरोधियों ने इस कानून को असंवैधानिक बताया है क्योंकि यह नागरिकता की परीक्षा को धार्मिक बनाता है।