स्नान-दान और अक्षय पुण्य का महापर्व मकर संक्रांति (Makar Sankranti) 15 जनवरी को मनाना श्रेयस्कर रहेगा। 15 की भोर के बाद का स्नान-दान श्रेष्ठ रहेगा।
इसी के साथ सूर्य की गति बदलने से 15-16 दिसंबर से चल रहा खरमास भी समाप्त होगा। बैंडबाजा और बारात सड़कों पर उतर आएंगी। मकर की संक्रांति में पुण्यकाल 40 घड़ी या लगभग 16 घंटे का माना जाता है। इस समय के भीतर ही खिचड़ी का दान करना श्रेयस्कर रहेगा।
शास्त्रों के मुताबिक जिस समय सूर्यास्त के बाद मकर संक्रांति लगे तो उसका पुण्यकाल अगले दिन दोपहर तक रहता है। इसीलिये 15 जनवरी को ही स्नान-पुण्य, दान, नहान, भोज उत्तम रहेगा। स्नान के समय ‘माधौ नारायण अच्युतं केशव…’ का जप करते रहना चाहिए। इसी के साथ सूर्य उत्तरायण होंगे और शिशिर ऋतु की शुरुआत होगी।
मकर संक्रांति के दिन सुबह घर में स्नान करते समय काले तिल व गंगाजल और नदी में काले तिल कुशा के साथ स्नान करना चाहिये। माघ की हांड़ कंपाती सर्दी में काष्ठ लकड़ी का दान श्रेष्ठ रहेगा, आग तपानी चाहिए।
मकर संक्रांति के दिन सुबह घर में स्नान करते समय काले तिल व गंगाजल और नदी में काले तिल कुशा के साथ स्नान करना चाहिये। माघ की हांड़ कंपाती सर्दी में काष्ठ लकड़ी का दान श्रेष्ठ रहेगा, आग तपानी चाहिए।
स्नान के बाद ब्राह्मण या जरूरतमंद को उसके परिवार के खाने भर की खिचड़ी देनी चाहिए। काले तिल, अग्नि के लिए लकड़ी, ऊनी कपड़े, कंबल, मिष्ठान्न, गुड़, आंवला, घृत और मौसमी फल दान करने से माधौ बहुत ही प्रसन्न होते हैं।