आज शनिवार हैं इस दिन भगवान शनिदेव की पूजा का विधान है। शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। बहुत से लोग उनसे डरते हैं मगर वह ऐसे देवता हैं जो सभी के कर्मों का फल देते हैं। उनसे कोई भी बुरा काम नहीं छुपा है। कुंडली में यदि शनि अशुभ हो तो व्यक्ति को किसी भी काम में आसानी से सफलता नहीं मिल पाती है। शास्त्रों के मुताबिक शनिदेव सूर्य देव और देवी छाया के पुत्र हैं। इनका जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या हुआ था। शुद्ध मन से प्रत्येक शनिवार को व्रत रखने से शनि अत्यंत प्रसन्न होते हैं। ऐसा करने वालों पर उनकी कुपित दृष्टि नहीं पड़ती। आइये जानते हैं शनिदेव की पूजा की विधि….
ऐसे करें शनि देव की पूजा
अगर आप वास्तव मे शनिदेव को ख़ुश करना चाहते हो तो प्रात:काल उठकर स्नानादि कर शुद्ध हो जाइये। इसके बाद लकड़ी के पाटे पर एक काला कपड़ा बिछाकर उस पर शनिदेव की प्रतिमा रखें। इसके बाद उनके पाटे के सामने के दोनों कोनों में घी का दीपक जलाएं व सुपारी चढ़ाएं। फिर शनिदेव को पंचगव्य, पंचामृत, इत्र से स्नान कराएं। उन पर काले या फिर नीले रंग के फूल चढाएं। इसके बाद उनके गुलाल, सिंदूर, कुमकुम व काजल लगाए। पूजा में तेल में तली वस्तुओं का नैवेद्य समर्पित करें। इस दौरान शनि मंत्र का कम से कम एक माला जप करें।
शनिदेव की पूजा के लाभ
जैसा कि हम जानते है कि एक आदर्श दंडाधिकारी कि नज़र मे सब लोग बराबर होते है।इसीलिए शनिदेव को अपना मित्र समझे ना कि क्रूर ,भगवान शनिदेव को खुश कर अपनी परेशानी को कम कर सकते है उनके पिता सूर्यदेव को शनि कि महादशा के कारण भगवान हनुमान जी का भोजन बनना पड़ा वही माँ पार्वती के सती होने का कारण भी इसी का हिस्सा है इसके साथ ही उनके गुरु भी फांसी चढ़ने से बचे।