इस बार 70 साल बाद करवा चौथ पर दुर्लभ मुहूर्त बन रहा है । इस बार चंद्रमा का उदय रोहिणी नक्षत्र में हो रहा है । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रोहिणी चंद्र देव की पत्नी हैं । इसलिए माना जा रहा है कि इस बार वो रोहिणी के साथ यानी कि रोहिणी नक्षत्र में उदय होंगे । देशभर में सुहागिन महिलाएं आज निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी आयु की कामना करेंगी । रात को चंद्रमा के दर्शन के बाद वे पति का चेहरा देखकर अपना उपवास पूरा करेंगी । अबकी बार करवा चौथ पर ग्रहों का शुभ संयोग भी है। रोहिणी नक्षत्र में मंगल का योग शुभ है ।
विशेषज्ञों के अनुसार, वृश्चिक, मेष, मीन और इनकी मित्र राशियों के लिए यह विशेष लाभकारी होगा। विशेषज्ञों ने बताया कि जिन महिलाओं का पति के साथ विवाद है, अगर वे इस बार करवा चौथ का व्रत रखती हैं तो उनका दांपत्य जीवनअच्छा होगा। दंपती के रिश्ते में प्रेम बढ़ेगा। पूजा का मुहूर्त शाम 5:48 से 6:58 बजे तक होगा। बुधवार को बाजारों में करवा चौथ के लिए खासी रौनक रही। हाथों में मेहंदी लगाए महिलाएं खरीदारी करती दिखीं।
इस दौरान, उन महिलाओं में खासा उत्साह था, जिनके विवाह का यह पहला साल है। मेहंदी से हाथ पर बने डिजाइन के बीच कोई महिला पति का नाम लिखवा रही थी तो कोई अपने और पति के नाम के पहला अक्षर। इस दौरान जगह-जगह मिट्टी से निर्मित डिजाइनदार करवे भी बिकते दिखे ।
कब होता है व्रत
हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व होता है। इसमें भी विशेष रूप से चतुर्थी तिथि जिस दिन रात्रि में चन्द्रमा उदय होने तक रहे, उस दिन करवा चौथ का व्रत होता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां प्रात: काल से ही निर्जला व्रत रखकर संध्या के समय चन्द्रमा को अर्घ्य देकर और अपने पति का दर्शन कर जल ग्रहण करके व्रत का परायण करती हैं।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 70 सालों बाद बन रहा शुभ संयोग सुहागिनों के लिए फलदायी होगा। इस बार रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग बेहद मंगलकारी रहेगा। ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद उपाध्याय के अनुसार करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। करवा चौथ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला तो करवा और दूसरा चौथ। जिसमें करवा का मतलब मिट्टी के बरतन और चौथ यानि चतुर्थी है। इस दिन मिट्टी के पात्र यानी करवों की पूजा का विशेष महत्व है। करवाचौथ के मौके पर महिलाएं व युवतियों मेहंदी लगवाती हैं। चतुर्थी को दिनभर व्रत करने के बाद शाम को 16 श्रृंगार से सजकर चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और भगवान गणेश की पूजा करती हैं।
करवा चौथ की तिथि और शुभ मुहूर्त :
- तिथि : 17 अक्टूबर
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ : 17 अक्टूबर की सुबह 6:48 मिनट से
- चतुर्थी तिथि समाप्त : 18 अक्टूबर को सुबह 7:29 मिनट तक
- करवा चौथ व्रत का समय : 17 अक्टू. को सुबह 6:27 मिनट से रात 8:16 मिनट तक
- कुल अवधि : 13 घंटे 50 मिनट
- पूजा का शुभ मुहूर्त : 17 अक्टू. की शाम 5:46 मिनट से शाम 7:02 मिनट तक
- कुल अवधि : 1 घंटे 16 मिनट
पूजा मुहूर्त
- शायं 5.50 से 7.05 बजे तक (करवा चौथ कथा का शुभ मुहूर्त)
क्यों होते हैं चंद्र दर्शन
चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। चंद्रमा आयु, यश और समृद्धि का भी प्रतीक है। ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसुत और ज्योतिषाचार्य चंद्र प्रकाश पांडेय के अनुसार, इस बार चंद्रमा अपनी उच्च राशि में है। वह रोहिणी नक्षत्र के साथ होंगे। रोहिणी को उनकी पत्नी कहा गया है। करवा चौथ पर शिव परिवार की पूजा करने का विधान है। लेकिन मुख्य रूप से गणपति की ही पूजा होती है। विघ्नहर्ता गणेश जी को चतुर्थी का अधिपति देव माना गया है। ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।’