कार्तिक मास की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है। इस पूर्णिमा का शैव और वैष्णव, दोनों ही सम्प्रदायों में बराबर महत्व है। इस दिन शिव जी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था और विष्णु जी ने मत्स्य अवतार भी लिया था। इसी दिन गुरुनानक देव का जन्म भी हुआ था अतः इसको प्रकाश और गुरु पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।
क्या है दीप दान का महत्व
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दीपदान करने का विशेष महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा पर दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन दान करने से ग्रहों की समस्या को दूर किया जा सकता है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा 12 नवंबर को है।
किस प्रकार करें स्नान और दान?
- प्रातः काल स्नान के पूर्व संकल्प लें
- फिर नियम और तरीके से स्नान करें
- स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दें
- साफ वस्त्र या सफेद वस्त्र धारण करें और फिर मंत्र जाप करें
- मंत्र जाप के पश्चात अपनी आवश्यकतानुसार दान करें
- चाहें तो इस दिन जल और फल ग्रहण करके उपवास रख सकते है
गंगा घाटों पर है सुरक्षा के पूरे इंतजाम
कार्तिक पूर्णिमा पर मंगलवार को 78 गंगा घाटों पर श्रद्धालु डुबकी लगाएंगे। जिला प्रशासन ने इन घाटों पर 250 मजिस्ट्रेट व 300 पुलिस अफसरों के साथ ही एक हजार से अधिक जवानों की तैनाती की है। इन घाटों पर छठ महापर्व के दौरान पानी के अंदर बैरिकेडिंग की गई थी। इसकी जांच कर दुरुस्त करने का कार्य पूरा कर लिया गया है। बैरिकेडिंग को पार करने से रोकने के लिए जाली लगाई गई है। यहां एनडीआरएफ की टीम गश्त करेगी।