माता जानकी केजीवन आदर्श हमें कोरोना महामारी से लड़ने की सीख देते हैं। यह भी पता चलता है कि उनके गुण आज कितने प्रासंगिक हैं। वह अशोक वाटिका में 13 माह एक वस्त्र में काटती हैं और 14 वर्ष दो वस्त्रों में। माता सीता जैसे ही लक्ष्मण रेखा पार करती हैं, तभी रावण उनका ह/रण करने में सफल हो पाता है। इससे सीख मिलती है कि यदि हम लॉकडाउन की लक्ष्मण रेखा तोड़ेंगे तो कोरोना का शि/कार बन सकते हैं। लेखिका आशा प्रभात कहती हैं, बस एक लक्ष्मण रेखा की बात ही क्यों? माता जानकी का धैर्य देखिए। कोरोना काल को उसी तरह व्यतीत कीजिए। इतना बड़ा सुअवसर है हमारे पास धैर्य दिखाने का।
सीता नवमी शुक्रवार को है। श्रद्धालु वैशाख शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी (जानकी नवमी) का व्रत करेंगे। मान्यता है कि इस दिन समस्त तीर्थों के दर्शन का फल मिलता है। इस व्रत से सुख सौभाग्य में वृद्धि व दुखों से छुटकारा मिलता है। जगन्नाथ मंदिर के पुजारी पंडित सौरभ कुमार मिश्रा ने बतायाकि सीता नवमी एक मई को है। प्रात: 8.26 मिनट में नवमी तिथि प्रारंभ होगी जो दो मई को सुबह 6.37 मिनट तक रहेगा।
इसी दिन श्रद्धालु व्रत का पारण करेंगे। उन्होंने बताया कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार राजा जनक संतान प्राप्ति की कामना से यज्ञ करने के लिए जमीन को हल द्वारा तैयार कर रहे थे। उसी समय माता जानकी धरती से प्रगट हुई। उस दिन वैशाख शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी तथा पुष्प नक्षत्र था। 30 अप्रैल को पुष्प नक्षत्र रात्रि 9.33 मिनट में प्रवेश कर रहा है जो एक मई को रात्रि 8.40 मिनट तक रहेगा। इसीलिए एक मई को माता जानकी का नवमी व्रत श्रद्धालु करेंगे।