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रवि दहिया । आज ये नाम पुरे भारत वर्ष की जुबान पर है । 24 साल के इस लड़के ने ओलंपिक में मेडल अपने नाम कर लिया । हरियाणा के एक छोटे से गाँव नाहरी (जिला –सोनीपत) में पैदा हुए इस पहलवान का जीवन संघर्षों से भरा हुआ है ।
पुरुषों की 57 किग्रा फ्रीस्टाइल सेमीफाइनल में रवि ने नूरिस्लाम सनायेव को हराकर भारत को गर्व के क्षण दिए। सेमीफाइनल में कजाकिस्तान के पहलवान को 9-7 से हराने के बाद रवि फाइनल में पहुंच चुके हैं। रवि की यह उपलब्धि इसलिए भी खास है, क्योंकि वो एक बेहद आम परिवार से आते हैं।
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उनके पिता दूसरों के खेतों को किराए पर लेकर अपना घर चलाते थे। जैसे-तैसे उन्होंने रवि को बड़ा किया और उनका दाखिला छत्रसाल स्टेडियम में कराया, ताकि वो बेहतर ट्रेनिंग लेकर रेसलिंग के दांव-पेंच सीख सकें। रवि को बचपन से पहलवानी का शौक था। वो बड़े रेसलिंग में करियर बनाना चाहते थे, जिसमें उनके पिता ने पूरा सहयोग किया।
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छत्रसाल स्टेडियम में रवि की मुलाकात अपने समय के नामी रेसलर गुरु सतपाल से हुई, जोकि बाद में उनके ट्रेनर बने। रवि महज 22 साल के थे, जब उन्होंने अपना डेब्यू किया था। उन्होंने अपना पहला मैच वर्ल्ड चैंपियनशिप में खेला था और सबका ध्यान अपनी ओर खींचा था। आगे उन्होंने ओलिंपिक में जगह बनाई और कांस्य पदक लेकर भारत लौटे थे। 2015 में आयोजित हुए जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी रवि चमके थे।