मेक इन इंडिया, जबरदस्त तेजी नही पकड़ रहा है, इसका कारण क्या हो सकता है। मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है वर्तमान मोदी सरकार, अफसर पे कुछ ज्यादा ही निर्भर है। अगर अफसरों के भरोसे भारत का परिवर्तन हो सकता था तो कब का हो गया रहता, इसकी सबसे बड़ी दिक्कत ये अफसर साह और इनकी लालफिता शाही ही है। वैश्विक स्तर पर कई प्रमुख देश चीन के पक्ष में नही है, चीन विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, पूरे विश्व के इंडस्ट्रियल उत्पादन में लगभग 38% में चीन की भागीदारी है, भारत की हिस्सेदारी लगभग 1% है।
आज जब पूरा विश्व एक बाजार में तब्दील हो गया है, चुनैतियाँ तो हैं नए वैश्वीकरण में मगर संभावना भी उतनी ही है। आवश्यकता और चुनौती है सही गुणवत्ता पूर्ण उत्पादन ,सरकारी सहायता ,सामूहिक प्रयास, मास प्रोडक्शन के फलीभूत करने की। मेरा व्यक्तिगत राय है सरकार को अगर भारत को इंडस्ट्रियल उत्पादन में आगे बढ़ना है तो उसे बड़े स्तर पर परिवर्तन करने होंगे। सर्वप्रथम एक नए PSU का गठन हो, जिसके जिम्मे हरेक कमिश्नरी में कम से कम 1 स्वतंत्र इंडस्ट्रियल स्टेट बनाया जाए, जिसे बाद में जिले स्तर पर लागू किया जाए, टैक्स का बंटवारा राज्य और केंद्र के लिए बराबर हो और कम हो, इस से जुड़े बैंक आसानी से लोन एवं आर्थिक देनदारी करें। किसी भी क्लीयरेंस के लिए समय सीमा निर्धारित हो राज्य एवं केंद्र सरकार को कोई सीधा हस्तक्षेप न हो ताकि यह राजनीति और दबाब व्यवधान उत्पन्न न करे। PSU का अपना गाइड लाइन हो, सीधा उद्योग मंत्रालय के अधीन हो यह संस्था। इस से एक बड़े स्तर पर परिवर्तन की रूप रेखा तैयार होगी, हमारे पास एक बड़ा मैनपावर है, और हम जॉब इन्फ्लेशन से भी बराबर प्रभावित होते रहते है, इन सब से निजात मिलेगा। हमें एक नए उद्योगपतियों की फौज तैयार हो सकेगी, जिनकी भागीदारी सीधे जिला स्तर पर होगी हो सकता है इसका बहूत दूरगामी प्रभाव हमारे रोजगार सृजन, देश के विकाश और आर्थिक समृद्धता में होगी। इस तरह के कई प्रयास छोटे स्तर पर कई देशों में किये गए हैं जो बाद में काफी सफल हुआ ।
लेखक : रामचंद्र जी, ओमान में रहते हैं । भारत की अर्थव्यवस्था और राजनीति पर पैनी नजर बनाए रखते हैं । इनसे jharamchandra@gmail.com पर सपर्क कर सकते हैं । यह लेखक के निजी विचार हैं ।