कल झारखंड के हज़ारीबाग हजारीबाग जिले के सदर थाना क्षेत्र के पोस्ट ऑफिस चौक के पास से पुलिस ने 50 लाख रुपए की कीमत वाली एक दुर्लभ जानवर को बरामद किया है । इसके साथ पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार भी किया है ।
इधर गुरुग्राम के पटाकपुर में इसी दुर्लभ प्रजाति के जानवर को गांव के लोगों ने पीट-पीट कर मार डाला । गांव वाले इस जानवर को देख परेशान हो गए, दहशत फैलने के कारण उसे मार दिया गया । गांव की महिलाओं ने सबसे पहले उसे देखा और कुत्ते के भौंकने की आवाज़ सुनी । वे लोग डर से चिल्लाने लगे, माहौल को देखते हुए लड़कों ने उसे लाठी से पीट-पीटकर मार डाला । उनका कहना था कि इस तरह का पहला जानवर उन लोगों ने देखा है । इसलिये डर से इसे मार दिया गया ।
क्या है ये ‘अजीब जानवर’
ये पैंगोलिन है। बहुत सख्त जां जानवर है । थोड़ा सुस्त लेकिन बहुत तंदुरुस्त । भारत में मिलता है और इसके Indian Pangolin कहते हैं। लेकिन अब जैसे जंगल कम हो रहे हैं तो जंगली जानवर भी कम हो रहे हैं। उसी तरह कहीं ये वाला भी निकलकर बस्ती में आ गया होगा तो इसको पीटकर मार डाला गया । यह जीव बहुत सीधा होता हैं, किसी से मारकाट नहीं करता । कीड़े मकोड़े खाकर जिंदगी बसर करता है।
सच तो ये है कि भारत में पैंगोलिन बहुत खतरे में हैं । खाल, नाखून, और पॉटी तक के लिए इनका धड़ल्ले से शिकार किया जाता है। सरकार ने इसे मारने पर बैन लगा रखा है। अगर कोई मारते मिल जाए तो उसे जेल हो जाएगी लेकिन किसी को कुछ पता ही नहीं है । तभी तो बता रहे हैं कि भारत में पहली बार देखा गया है।
दीवरों पर मजबूत पकड़ के कारण फौज में होता है इस्तेमाल
पुराने जमाने के लोग कहते थे कि इनकी पकड़ दीवारों पर मजबूत होने के कारण फौजी लोग इसका इस्तेमाल करते थे । इनके शरीर में रस्सी बांध कर पहाड़ों पर फेंक दिया जाता था, इनकी पकड़ इतनी मजबूत होती थी के ये पत्थर से चिपक जाते थे । उसी के सहारे फौजी एक पहाड़ से दुसरे पहाड़ तक चले जाते थे ।
ये भी कहा जाता है कि इसके सहारे पुराने जमाने में लोग दीवार फांद जाते थे, फौजी किलों में घुस जाते थे क्योंकि इनकी दीवार पर पकड़ मजबूत होती थी।
शेर भी हार मान लेते हैं
जिस जानवर को कुछ बेवकूफों ने मार डाला है, शेर भी इसको नुकसान नहीं पहुंचा पाता। कई बार वो इसके खोल से लड़कर, हारकर वापस मुंह लटकाकर चला जाता है।
चाइना में है भारी डिमांड
इस दुर्लभ जीव की कीमत अंतरराष्ट्रीय मार्केट में करोड़ों रुपए बताई जा रही है । इसका इस्तेमाल शक्ति वर्धक दवाइयां, कैंसर और एड्स का इलाज, बुलेटप्रूफ सामग्री बनाने में किया जाता है । चीन और वियतनाम जैसे देशों में इसे रइस खानों की श्रेणी में रखा जाता है ।