गूगल ने आज अपना डूडल बंगाली कवयित्री, ऐक्टिविस्ट और शिक्षाविद् कामिनी रॉय को समर्पित किया है। 12 अक्टूबर, 1864 को तत्कालीन बंगाल के बाकेरगंज जिले (अब बांग्लादेश का हिस्सा) में जन्मी कामिनी रॉय की आज 155वीं जयंती है। महिला अधिकारों के लिए समर्पित रहने वाली कामिनी रॉय भारत की ऐसी पहली महिला हैं, जिन्होंने ब्रिटिश इंडिया में ग्रैजुएशन ऑनर्स किया था। संभ्रांत परिवार में जन्मीं रॉय के भाई कोलकाता के मेयर रहे थे और उनकी बहन नेपाल के शाही परिवार की फिजिशियन थीं।
भारतीय उपमहाद्वीप में उस दौर में उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और उनकी पढ़ाई की वकालत की, जब कई कुप्रथाएं समाज में मौजूद थीं। कामिनी रॉय की बहुमुखी प्रतिभा को आप इससे भी समझ सकते हैं कि उन्हें बचपन से ही गणित में रुचि थी, लेकिन आगे की बढ़ाई उन्होंने संस्कृत में की। कोलकाता स्थित बेथुन कॉलेज से उन्होंने 1886 में बीए ऑनर्स किया था और फिर वहीं टीचिंग करने लगी थीं।
कामिनी रॉय का जन्म अविभाजित बंगाल के बेकरगंज जिले में 12 अक्टूबर 1864 को हुआ था। अब ये इलाका बांग्लादेश में पड़ता है। पिता चंडी चरण सेन न्यायाधीश थे। जबकि उनके भाई निशीथ चंद्र सेन, कलकत्ता हाईकोर्ट में बैरिस्टर थे। आगे चलकर वे कलकत्ता के मेयर भी बने। कामिनी ने कोलकाता यूनिवर्सिटी के बेथन कॉलेज से संस्कृत ऑनर्स से 1886 में ग्रेजुएशन पूरा किया। इसके बाद कामिनी उसी विश्वविद्यालय में पढ़ाने लगीं। कॉलेज में उनकी मुलाकात अबला बोस से हुई थी। अबला महिलाओं की शिक्षा और विधवाओं के लिए काम करती थीं। अबला से प्रेरित होकर कामिनी रॉय ने भी अपना जीवन महिलाओं के लिए समर्पित करने का फैसला किया।