सब कुछ ठीक रहा तो भारत में थर्मोकोल के प्लेट और कटोरी का विकल्प जल्द ही लोगों को मिल जाएगा । शुरूआत बिहार से होगी । राज्य सरकार ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में मिले सुझावों पर अमल किया तो राज्य में पुआल (पराली) से प्लेट व कटोरी बनने लगेगी । इसके अलावा कम्पोस्ट व चारा ब्लॉक बनाकर भी किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकेगी। पुआल के उपयोग से मशरूम का उत्पादन भी बढ़ाया जा सकेगा। फसल अवशेष जलाने पर पटना में दो दिन तक चले सम्मेलन में कई अच्छे सुझाव सरकार के सामने आये हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च के पूर्व डीजी डॉ. मंगला राय ने भी पुआल का वैल्यू एडिसन कर किसानों की आमदनी बढ़ाने का विकल्प दिया है।
कृषि सचिव डॉ. एन सरवण ने बिहार कृषि विवि को सभी सुझावों पर रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। इसके लिए विश्वविद्यालय को एक महीने का समय दिया गया है। रिपोर्ट मिलने के बाद विभाग सबसे उपयुक्त विकल्प पर अमल करने का विचार करेगा। पुआल से प्लेट बनाने की योजना पर आईआईटी दिल्ली का युवक राहुल कुमार काम कर रहा है। उसकी योजना अगर साकार हुई तो पुआल प्लास्टिक के साथ थर्मोकोल का भी बड़ा विकल्प होगा। इन दोनों पदार्थों पर राज्य में रोक के बाद समारोहों के लिए प्लेट और कटोरी बनाने का एक ही विकल्प बचा है, पत्तल।
पत्तल के लिए भी पत्ते की कमी है। लिहाजा पुआल का उपयोग इस काम के लिए किया जा सकेगा। एक किलो पुआल की कीमत दो से तीन रुपये आती है। इसकी प्रोसेसिंग में 50 रुपये लगते हैं और तैयार मैटेरियल 150 रुपये प्रति किलो बिकता है। नबार्ड ने इस योजना को आगे बढ़ाने में मदद की पेशकश भी की है। ऐसे प्रोजेक्ट लगाने वाले को नबार्ड लोन भी दे सकता है। इसके अलावा चारा ब्लॉक बनाकर जमा करने की योजना भी कारगर होगी। राज्य में बाढ़ या सुखाड़ के समय चारे की कमी हो जाती है। पुआल को कंप्रेस कर ब्लॉक बनाकर स्टोर किया जा सकता है। इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।
एक टन पुआल जलाने से नुकसान
03 किलो हवा में मिलने वाले हानिकारक तत्व निकलते हैं।
60 किलो कार्बन मोनोआक्साइड निकलता है।
1460 किलो कार्बन डाइऑक्साइड निकलता है।
02 किलो सल्फर डाइऑक्साइड निकलता है एक टन पुआल मिट्टी में मिलने से
एक टन पुआल जलाने से लाभ
30 किलो नाइट्रोजन मिलता है।
60 किलो पोटाश मिलता है।
07 किलो सल्फर मिलता है।
800 किलो आर्गेनिक कार्बन
बड़े काम की चीज
इस प्रोजेक्ट पर आईआईटी दिल्ली के युवक राहुल कुमार कर रहे हैं । पटना में हुए सम्मेलन के सुझावों पर कृषि विभाग ने उनसे रिपोर्ट मांगी है । जल्द ही इसका डिजायन मार्केट में आएगा ।