खबर है कि बाढ़ में डूबा बिहार राजनीति में नये गुल खिला रहा है । कभी एक पार्टी का नेता बाढ़ पीडि़तों को मरता छोड़ मिलन समारोह का जश्न मनाते दिख जाता है तो कभी कोई नेता खुद रेस्क्यू होने की गुहार लगाता दिख जाता है ।
लेकिन ये वाला मसला उससे ज्यादा गंभीर है । राजद ने अपने कोटे की राज्यसभा सीट बीजेपी के लिए छोड़ दी है । राजद के इस फैसले से बीजेपी उम्मीदवार सतीशचंद्र दूबे निर्विरोध निर्वाचित हो सकते हैं । पार्टी ने वाल्मीकिनगर से सांसद रहे दूबे को अपना उम्मीदवार बनाया है । वे शुक्रवार को नामांकन करेंगे । दूबे नरकटियागंज से दो बार विधायक भी रह चुके हैं लेकिन इसबार लोकसभा का टिकट नहीं मिलने पर वे बागी हो गये थे । इसके लिये उन्हे मुश्किल से मनाया गया है ।
लेकिन राजद को यह सीट बड़े ही आराम से बीजेपी की झोली में डाल देना बहुत कुछ बता रही है । ये बता रही है कि राजनीति में चोर चोर मौसेरे नहीं सहोदर होती है । बता दें कि राजद के राज्यसभा सदस्य और मशहूर वकील रामजेठमलानी के निधन से खाली हुई इस सीट पर राजद का स्वभाविक दावा बनता था। लेकिन पार्टी ने उम्मीदवार न देने का फैसला किया है । बीजेपी को राजद का साथ मिल गया है तो जेडीयू क्यों टांग अडा़ता ? उसने भी अपने सहयोगी बीजेपी को समर्थन दे दिया है । ऐसे में बीजेपी उम्मीदवार सतीशचंद्र दूबे की जीत अब महज औपचारिकता रह गयी है । कइयों ने तो उन्हे अग्रिम बधाइयां भी दे दी है ।
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने वाल्मीकिनगर के पूर्व सांसद सतीश चन्द्र दूबे को बिहार से राज्यसभा सदस्य बनाये जाने पर उन्हें बधाई दी है । मोदी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह व कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा को धन्यवाद ज्ञापित किया है । मालूम हो कि श्री दूबे शुक्रवार को अपराह्न में अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे । गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के बाद रविशंकर प्रसाद की छोड़ी गयी सीट पर बीजेपी ने अपने कोटे से लोक जन शक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान को उम्मीदवार बनाया था और उन्होंने जीत भी हासिल की थी।
शिवानंद ने कहा, इसमें कोई पॉलिटिकल ट्विस्ट नहीं है
हालांकि राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा के पूर्व सदस्य शिवानंद तिवारी इस मामले में किसी प्रकार पॉलिटिकल ट्विस्ट नहीं देख रहे हैं । तिवारी ने कहा कि यह सामान्य परिपाटी है कि अगर राज्यसभा की एक सीट के लिए उपचुनाव हो रहा हो तो जो पार्टी बहुमत में रहती है, उसके लिए सीट छोड़ दी जाती है क्योंकि इसमें विधायक ही वोटर होते हैं । सदन में बीजेपी और जेडीयू की सदस्य संख्या बीजेपी उम्मीदवार की जीत पक्की कर देगी । ऐसे में राजद के लड़ने का कोई औचित्य नहीं है । इस चुनाव को लेकर कुछ ‘ खास पढ़ने’ की कोई जरूरत नहीं है।’