गैर-भाजपा शासित राज्यों के विरोध के बावजूद केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू करने की तैयारी में है। 10 जनवरी को सीएए की अधिसूचना जारी करने के बाद सरकार अब इसे लागू किए जाने के नियम-कायदों को अंतिम रूप देने में जुटी है। असम के लिए नियम-कायदे बाकी देश से अलग हो सकते हैं। माना जा रहा है कि इन नियम-कायदों को फरवरी के पहले हफ्ते में अधिसूचित किया सकता है।
गृह मंत्रलय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार असम सरकार की ओर से सीएए के लिए विशेष नियम-कायदे बनाने का सुझाव आया है। इसमें इसे तीन महीने की अवधि में पूरा करना और असम में चले एनआरसी से जोड़ना शामिल है। पिछले दिनों गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने वाले असम के एक वरिष्ठ मंत्री के अनुसार पिछले दिनों असम में एनआरसी की प्रक्रिया चली है। इसलिए ऐसा नहीं हो सकता है कि 2014 के पहले राज्य में बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने इसके लिए आवेदन नहीं किया हो।
उनके अनुसार लोगों को सीएए के लिए भी वही दस्तावेज दिखाने के लिए कहा जाएगा, जो उन्होंने एनआरसी के दौरान दिखाए थे। इनमें 2014 की मतदाता सूची भी अहम हो सकती है। उन्होंने कहा कि असम में सीएए विरोधियों की ओर से जताई जा रही आशंका के विपरीत लगभग तीन लाख लोग ही इसके तहत भारत की नागरिकता के हकदार हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि फिलहाल बांग्लादेश से आए लगभग पांच लाख अल्पसंख्यक एनआरसी से बाहर हंै। लेकिन टिब्यूनल में सुनवाई के दौरान इनमें से दो लाख लोग स्वत: ही एनआरसी में शामिल हो जाएंगे। इनमें अधिकतर हंिदूू हैं। गृह मंत्रलय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सीएए में असम के लिए विशेष प्रावधान करने के राज्य सरकार के अनुरोध पर विचार किया जा रहा है।