अमित शाह ने जो कल आनन फानन में बिहार गठबंधन को लेकर बयान दिया था उससे भले ही ये लगे कि गंठबंधन में सब कुछ ठीक चल रहा है । लेकिन आज शिवानंद तिवारी के पोस्ट ने नीतीश कुमार की पोल खोल दी है । असल में श्री कुमार इतने दिनों से आरजेडी को लॉलीपॉप देकर डबल गेम खेल रही थी ।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने दावा किया है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संदेश भिजवाया था कि वह बीजेपी के साथ गठबंधन में सहज महसूस नहीं कर रहे हैं। आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही आरजेडी ने खुले मंच से नीतीश कुमार का स्वागत करने की भी बात कही है।
गौरतलब है कि बीजेपी और जेडीयू के बीच इस बीच जमकर बयानबाजी भी हुई है। साल 2015 में आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव जीतने वाले जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने डेढ़ साल में ही महागठबंधन से खुद को अलग कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। शुरू में सब कुछ ठीक रहा लेकिन इसके बाद कई मतभेद सामने उभर कर सामने आने लगे हैं। पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल के शुरू होते ही रिश्तों में और तल्खी आ गई है।
हालांकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में ही चुनाव लड़ा जाएगा। लेकिन रिश्ते इतने भी सहज होते नहीं दिखाई दे रहे हैं। इसी बीच आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने एक बार फिर ब्लॉग लिखकर इस नीतीश को संकेत देने की कोशिश की है।
‘भारतीय जनता पार्टी (BJP) बिहार में अकेले बहुमत हासिल करने की हैसियत अब तक नहीं बना पाई है। बिहार का अगला विधानसभा चुनाव बीजेपी नीतीश कुमार कुमार के ही नेतृत्व में लड़ेगी। अमित शाह के बयान से अब यह स्पष्ट हो गया है। पिछले दिनों, विशेष रूप से जल जमाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने नीतीश कुमार पर जिस प्रकार हमला बोला था उससे ऐसा आभास हो रहा था कि नीतीश कुमार को अब ये लोग सहन करने वाले नहीं हैं। अमित शाह के बयान के बाद वैसे लोग जो नेतृत्व में बदलाव का शोर मचा रहे थे, अब चुप हो जाएंगे।
गठबंधन को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा करने में नीतीश कुमार ने भी बहुत चतुराई दिखाई । हम लोगों के यहां उनका संदेशा आया कि उस गठबंधन में वे सहज महसूस नहीं कर रहे हैं । उनकी तथाकथित सेकुलर आत्मा उनको वहां धिक्कार रही है। हम लोग उनके झांसे में आ गए और सार्वजनिक रूप से उनका स्वागत कर दिया। नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर अमित शाह के ऐलान के पीछे इसकी भूमिका भी रही होगी।
वोट में हार-जीत का अपना गणित होता है। उस गणित से लोगों का दुख तकलीफ़ नहीं मिटता है। अभी चुनाव अभियान में दो दिन मैं सिवान के दरौंदा विधानसभा के गांवों में घूम कर आया हूं। छोटी-छोटी जातियों के बाहर कमाने वाले लोग गांव लौट रहे हैं। जिन छोटे-मोटे कल-कारख़ानों मे वे काम करते थे, बंद हो गए हैं या बंद हो रहे हैं। गांव में कोई काम नहीं है। उनके चेहरे पर भूख दिखाई दे रही थी। गांव में भूख का पांव पसर रहा है।
दिल्ली और पटना, दोनों सरकारों के एजेण्डे में रोज़ी-रोज़गार, भूख-प्यास का स्थान नहीं है। वोट के गणित में यह सरकार ज़रूर आगे है। इसका सेहरा बहुत कुछ हम दिशाहीन विपक्षियों के सर भी है’।