राजनीति में आपराधिक छवि के लोगों की बढ़ती संख्या पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चिंता व्यक्त की है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश जारी किया। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को आदेश दिया कि उसे अपने उम्मदीवारों के आधिकारिक मामलों का रिकॉर्ड अपने वेबसाइट पर दिखाना होगा। इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मदीवारों को वो टिकट क्यों दे रहे हैं, इसकी वजह बतानी होगी और जानकारी वेबसाइट पर देनी होगी कि उन्हें टिकट क्यों दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सियासी दलों को वेबसाइट , न्यूजपेपर और सोशल मीडिया पर यह बताना होगा कि उन्होंने ऐसे उम्मीदवार क्यों चुनें जिनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सियासी दलों को ऐसे उम्मीदवार को चुनने के 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को अनुपालन रिपोर्ट देनी होगी जिसके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। जिन उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं उनके बारे में उनके बारे में अगर राजनीतिक दल न्यायालय की व्यवस्था का पालन करने में असफल रहते हैं तो चुनाव आयोग इसे शीर्ष अदालत के संज्ञान में लाए।
न्यायालय ने एक अवमानना याचिका पर यह आदेश पारित किया। उस याचिका में राजनीति के अपराधीकरण का मुद्दा उठाते हुए दावा किया गया था कि सितंबर 2018 में आए शीर्ष अदालत के निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है जिसमें सियासी दलों से अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का खुलासा करने को कहा गया था।
अदारल की पीठ ने कहा कि सियासी दल उम्मदीवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की विस्तृत जानकारी फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, क्षेत्रीय भाषा के एक अखबार और एक राष्ट्रीय अखबार में प्रकाशित करवाएं। न्यायालय ने कहा कि सियासी दलों को ऐसे उम्मीदवार को चुनने के 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को अनुपालन रिपोर्ट देनी होगी जिसके खिलाफ आपराधिक
गुरुवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया है। अदालत के फैसले के अनुसार, सभी राजनीतिक दलों को उम्मीदवार घोषित करने के 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को भी इसकी जानकारी देनी होगी। इसके साथ ही घोषित किए गए उम्मीदवार की जानकारी को स्थानीय अखबारों में भी छपवानी होगी।