केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो का पश्चिम बंगाल में विरोध हुआ। कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी में पहुंचे सुप्रियो को छात्रों के विरोध का सामना करना पड़ा। एक कार्यक्रम में शामिल होने यूनिवर्सिटी पहुंचे बाबुल सुप्रियो के खिलाफ वापस जाओ के नारे भी लगाए गए। इस बीच बाबुल सुप्रियो धरने पर बैठ गए। उनके साथ बदसलूकी भी हुई।
वहीं यूनिवर्सिटी पहुंचे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़ का भी छात्रों ने घेराव किया। राज्यपाल के प्रेस सचिव ने कहा कि छात्रों के एक वर्ग ने इससे पहले केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो का घेराव किया। इस मामले को राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने गंभीरता से लिया।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर से बात की है और उचित कदम उठाने को कहा। राज्यपाल ने राज्य की सीएम ममता बनर्जी से भी फोन पर बात की है। ताजा जानकारी के मुताबिक, यूनिवर्सिटी में फंसे बाबुल सुप्रियो को राज्यपाल अपने साथ ले गए।
बता दें कि बाबुल सुप्रियो पश्चिम बंगाल के आसनसोल से सांसद हैं। केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने लोकसभा चुनाव-2019 में आसनसोल संसदीय सीट से जीत दर्ज की। उन्होंने टीएमसी प्रत्याशी मुनमुन सेन को करारी शिकस्त दी थी। सुप्रियो ने 2014 में भी आसनसोल से जीत दर्ज की थी। तब बीजेपी को बंगाल में 2 ही सीट मिली थी। बाबुल सुप्रियो फिलहाल मोदी सरकार में पर्यावरण राज्य मंत्री हैं।
2017 में आजादी के नारों के कारण सुर्खियों में रही थी यह युनिवर्सिटी
जादवपुर यूनिवर्सिटी आचनक तब सुर्खियों में आई थी जब यहां पर आजादी के नारे लगाए गए थे। यूनिवर्सिटी के फाइन आर्ट्स विभाग के बाहर छात्रों ने कश्मीर, मणिपुर और नगालैंड के लिए ‘आजादी’ के नारे लगाए। ये नारे साल 2017 में लगे थे।
टीएमसी ने राज्यपाल पर उठाए सवाल
वहीं, राज्य में सत्तारुढ़ टीएमसी ने बयान जारी कर राज्यपाल के यूनिवर्सिटी में जाकर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता को बचाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.
टीएमसी महासचिव पार्थ चटर्जी ने बयान जारी किया है कि राज्यपाल राज्य सरकार को सूचित किए बिना वहां गए और उन्होंने रास्ते में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को फ़ोन किया, मुख्यमंत्री ने उन्हें वहां न जाने की सलाह दी लेकिन वह फिर भी वहां चले गए.
सत्ताधारी दल ने कहा है कि यह क़ानून-व्यवस्था का मामला नहीं है. टीएमसी ने कहा है कि राज्य की पुलिस यूनिवर्सिटी के बाहर खड़ी थी लेकिन वाइस चांसलर की ओर से कोई अनुरोध न आने के कारण वह अंदर नहीं गई.
इससे पहले दिन में बाबुल सुप्रियो ने ट्वीट कर कहा, “ये कुछ भी कर लें उकसा मुझे पाएंगे नहीं. लोकतंत्र को जीवंत बनाए रखने में विपक्ष की भूमिका सत्ताधारी दल की तरह ही काफी अहम है, तथा मतभेदों को धैर्यपूर्वक सुनना भी आवश्यक है. इस तरह का व्यवहार अनुचित तथा निन्दनीय है.”