आरएलएसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने 26 नवंबर से आमरण-अनशन करने का ऐलान कर दिया है। कुशवाहा का कहना है कि औरंगाबाद जिले (Aurangabad District) के देवकुंड और नवादा में केंद्रीय विद्यालय (Central School) खोलने के लिए जमीन की व्यवस्था हो जाने और केंद्र सरकार की तरफ से मंजूरी मिल जाने के बावजूद इस पर बात आगे नहीं बढ़ पा रही है। उन्होंने आरोप लगाया है कि ऐसा नीतीश कुमार सरकार (Nitish Kumar Government) की तरफ से की जा रही अडंगेबाजी के चलते हो रहा है।
कुशवाहा ने नीतीश पर लगाया ये आरोप
उपेंद्र कुशवाहा केंद्र की पिछली सरकार में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री थे और उस दौरान वे काराकाट से ही लोकसभा सांसद भी थे। देवकुंड काराकाट लोकसभा क्षेत्र में ही आता है, जहां केंद्रीय विद्यालय खोलने के लिए उपेंद्र कुशवाहा ने पूरी कोशिश की थी। उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि देवकुंड में केंद्रीय विद्यालय खोलने के लिए एक महंत की तरफ से जमीन दी गई है और केंद्र सरकार की तरफ से उसकी मंजूरी भी दे दी गई है। इसके बाद भी नीतीश सरकार की तरफ से बाकी औपचारिकता पूरी नहीं की जा रही है।
न्यूज़ 18 से ये बोले कुशवाहा
न्यूज़ 18 से बात करते हुए कुशवाहा कहते हैं कि अब तो हम काराकाट से सांसद भी नहीं हैं और न ही मंत्री हैं। ऐसे में नीतीश कुमार की ईर्ष्या उपेंद्र कुशवाहा से हो सकती है, लेकिन बिहार की जनता से आखिर क्या है ईर्ष्या? साथ ही उन्होंन कहा कि जब मार्च 2017 में इस बारे में राज्य सरकार की तरफ से केंद्रीय विद्यालय संगठन को जो पत्र लिखा गया उसमें इस बात का जिक्र किया गया था कि राज्य सरकार बिना शुल्क के जमीन देने के लिए तैयार है, लेकिन दूसरी तरफ जमीन उपलब्ध कराने को लेकर ऐसी शर्त रख दी, जिससे मामला और पेचीदा हो गया। बिहार सरकार की तरफ से भेजे गए पत्र में यह शर्त रखी गई कि इसमें स्थानीय बच्चों को 75 प्रतिशत या फिर कम से कम 50 प्रतिशत तक नामांकन देने का अंडरटेकिंग दिया जाए।
केंद्रीय विद्यालय को लेकर किया ये खुलासा
हालांकि कुशवाहा का कहना है कि जब इस मामले में केंद्रीय विद्यालय संगठन की तरफ से सर्वे कराया गया तो उसमें पाया गया कि बिहार में चल रहे 48 केंद्रीय विद्यालयों में लगभग सभी में 98 से लेकर 100 प्रतिशत तक बिहार के ही लड़के पढ़ रहे हैं। जबकि कुशवाहा इसे जान-बूझकर बिहार सरकार की तरफ से टालने की कोशिश बता रहे हैं। कुशवाहा का कहना है कि 7 अगस्त 2018 को केंद्र सरकार की तरफ से केंद्रीय विद्यालय को मंजूरी मिल गई है। यहां तक कि नई सरकार आने के बाद एक बार फिर से 19 सितंबर 2019 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की तरफ से पत्र भेजा गया है। लेकिन अब तक राज्य सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है। यही वजह है कि अब हमें आमरण- अनशन के लिए बैठना पड़ रहा है।
कुशवाहा ने कहा ये राजनीति नहीं, जेडीयू ने कही ये बात
इस कार्यक्रम को उपेंद्र कुशवाहा राजनीति के चश्मे से नहीं देखना चाहते हैं। फिर भी इस पर सियासत होनी तय है। महागठबंधन की तरफ से आरजेडी के लोग भी इस मुद्दे पर नीतीश सरकार पर हमला बोल रहे हैं। जबकि जेडीयू इसे लोकसभा चुनाव में हार के बाद निराशा में उठाया गया कदम बता रही है।
यही नहीं, उपेंद्र कुशवाहा अपने आमरण-अनशन में दूसरे दलों के लोगों को भी बुलाने की तैयारी कर रहे हैं। उनकी कोशिश नवादा के मौजूदा एलजेपी सांसद चंदन कुमार और नवादा से पहले सांसद रह चुके केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को साथ लाने की है। कुशवाहा उनसे बात करने की कोशिश भी कर रहे हैं। साफ है कि इस मुद्दे पर अब सियासत काफी तेज होने वाली है, क्योंकि कुशवाहा का आमरण-अनशन उस वक्त शुरू हो रहा है, जब बिहार विधानसभा का सत्र चल रहा होगा।