भारतीय जनता पार्टी की कमान पूर्णरूप से जगत प्रकाश नड्डा को सौंपी जा रही है। लोप्रोफाइल रहकर विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के हाई-प्रोफाइल नेता बनने का उनका सफर काफी लंबा रहा है। वह जेपी मूवमेंट से निकले नेता है। वह हिमाचल प्रदेश के हैं लेकिन खुद को खांटी बिहारी कहते हैं।
दरअसल, मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के रहने वाले ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखने वाले जेपी नड्डा का जन्म बिहार की राजधानी पटना में 2 दिसंबर 1960 को हुआ था। पटना के ही सेंट जेवियर स्कूल और कुछ दिनों के लिए राममोहन राय सेमिनरी में स्कूली शिक्षा हुई।
सेंट जेवियर स्कूल से मैट्रिक पास करने के बाद पटना काॅलेज में इंटर में नामांकन कराया। 1980 के दशक में यहीं से ग्रेजुएट हुए। नड्डा 16 साल की उम्र में जेपी आंदोलन से जुड़ गए थे। इसके बाद सीधे छात्र राजनीति से जुड़ गए।
दरअसल हिमाचल में विलासपुर के जेपी नड्डा के पिता एनएल नड्डा पटना विवि में काॅमर्स विभाग में शिक्षक थे। यहां वे हेड ऑफ द डिपार्टमेंट और बाद में प्रिंसिपल भी हुए। उनके पिता 1980 के आसपास रिटायर्ड हुए और उनके हिमाचल लौटने के कारण जेपी नड्डा भी हिमाचल ही चले गए।
1982 में उन्हें उनकी पैतृक जमीन हिमाचल में विद्यार्थी परिषद का प्रचारक बनाकर भेजा गया। वहां छात्रों के बीच नड्डा ने ऐसी लोकप्रियता हासिल कर ली थी कि उनके नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार एबीवीपी ने जीत हासिल की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ नड्डा के नजदीकी रिश्ते रहे हैं। मोदी जब हिमाचल के प्रभारी हुआ करते थे तब से दोनों के बीच अच्छे समीकरण रहे हैं। दोनों अशोक रोड स्थित बीजेपी मुख्यालय में बने आउट हाउस में रहते थे। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय भी संभाला।
इस बार जब उन्होंने शपथ नहीं ली तो लगभग तय माना जा रहा था कि पार्टी अध्यक्ष का पद जगत प्रकाश नड्डा के लिए ही रखा गया है, जिस पर सोमवार को मुहर भी लग गई।नड्डा सबसे शक्तिशाली दल के शीर्ष पर पहुंच गए हैं अब उनके लिए पहली सबसे बड़ी चुनौती बिहार और पश्चिम बंगाल में है। इसके बाद असम सहित कई राज्यों के चुनाव होने हैं।