जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत नजरबंद कर लिये गऐ हैं । पब्लिक सेफ्टी एक्ट (Public Safety Act) बिना मुकदमे के किसी भी व्यक्ति को दो साल तक की गिरफ्तारी या नज़रबंदी की अनुमति देता है । यह विडंबना है कि फारूक अब्दुल्ला उसी कानून के तहत हिरासत में हैं जिसे 1970 के दशक में उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला (Sheikh Abdullah) ने मंजूरी दी थी । 83 साल के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला 5 अगस्त से नजरबंद हैं, जब सरकार ने जम्मू कश्मीर पर दो बड़े फैसलों की घोषणा की थी । वहां अनुच्छेद 370 के तहत मिले विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया गया था और जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया था ।
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इसके बाद सरकार ने राज्य में बड़े पैमाने पर सुरक्षा बंदिशें लगाईं थीं, जिसमें जम्मू और कश्मीर में सैकड़ों राजनेताओं की गिरफ्तारी या हिरासत शामिल थी. इसके तहत फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) के अलावा राज्य के दो और पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) और महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) को हिरासत में रखना शामिल है.
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श्रीनगर के लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला पर कानून की उस धारा के तहत आरोप लगाया गया है, जो सार्वजनिक अव्यवस्था से संबंधित है. इसका अर्थ है बिना किसी मुकदमे के तीन महीने से एक वर्ष तक हिरासत में रहना । श्रीनगर में उनके आवास को ही ‘जेल’ घोषित कर दिया गया है । बता दें कि सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) को लकड़ी की तस्करी को रोकने के लिए एक सख्त कानून के रूप में लाया गया था । यह सरकार को 16 साल से ऊपर के किसी भी व्यक्ति को दो साल तक बिना मुकदमा चलाए रखने की अनुमति देता है । 2011 में, न्यूनतम आयु 16 से बढ़ाकर 18 कर दी गई थी ।
हालिया दशकों से दौरान इसका इस्तेमाल आतंकवादियों, अलगाववादियों और पत्थरबाजों के खिलाफ किया जाता था । 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी की हत्या के बाद कश्मीर घाटी में विरोध प्रदर्शनों के दौरान पीएसए के तहत 550 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया था । पिछले महीने अनुच्छेद 370 के फैसले के बाद जारी सुरक्षा बंदिशों के बीच यह पहला मौका है जब एक मुख्यधारा के राजनीतिज्ञ, सांसद और तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके किसी व्यक्ति को PSA के तहत नजरबंद किया गया है । पीएसए के तहत किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने का आदेश जिला मजिस्ट्रेट या संभागीय आयुक्त द्वारा जारी किया जा सकता है ।