बिहार की सियासत में आजकल उठा-पटक का दौर चल रहा है. पहले एनआरसी, एनपीआर फिर जाति आधारित जनगणना पर बीजेपी के ना चाहते हुए भी विधानसभा से प्रस्ताव पास करा लिया गया और अब मुद्दा डोमिसाइल का है. शुक्रवार को विधानसभा में आरजेडी ने इस मुद्दे को उठाया जिस पर सत्तापक्ष बंटा दिखा. बीजेपी इस मुद्दे पर आरजेडी के साथ खड़ी दिखी तो वहीं जेडीयू इस मुद्दे पर असमंजस में है और खुलकर कुछ भी बोलने से बच रही है.
पिछले कुछ दिनों से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव हर मंच से बिहार में डोमिसाइल लागू करने की मांग कर रहे हैं. तेजस्वी की ये गूंज विधानसभा में भी दिखी, जहां उनके साथ राजद विधायक भोला यादव ने विधानसभा की कार्यवाही के दौरान ये मांग उठाई. भोला यादव ने सदन में शून्य काल के दौरान कहा कि बिहार के पड़ोसी राज्यों में भी डोमिसाइल लागू है, ऐसे में बिहार में इसे लागू करने में क्या परेशानी है. डोमिसाइल नहीं लागू होने के कारण जो नौकरियों में लाभ बिहार के युवाओं को मिलना चाहिए, वो लाभ दूसरे राज्यों के लोग उठा रहे हैं. महागठबंधन के दूसरे दल भी तेजस्वी की हां मे हां मिलाते दिखे. हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने भी इसे जरूरी बताते हुए सरकार से इसे जल्द लागू करने की मांग की ।
इस मुद्दे पर विपक्ष तो एकजुट दिखा, लेकिन सत्तापक्ष की राहें इस पर जुदा है. बीजेपी इस मुद्दे पर विपक्ष के साथ खड़ी दिख रही है. बीजेपी नेता और बिहार सरकार में मंत्री प्रेम कुमार ने डोमिसाइल को बिहार के लिए जरूरी बताते हुए कहा कि इससे बिहारी प्रतिभा को जगह मिलेगी और हम चाहते हैं कि इसे जल्द लागू किया जाए. जदयू इस मुद्दे पर कुछ भी खुलकर बोलने से बच रही है. जदयू नेता श्याम रजक ने कहा कि बिहार में कई योजनाओं में बिहारियों को प्राथमिकता दी जाती है, इस लिहाज से तो ये बिहार में लागू है ही लेकिन वो इस सवाल को टालते दिखे कि बिहार में डोमिसाइल लागू होना चाहिए कि नहीं.
पिछले कुछ दिनों से बिहार के सत्ताधारी दल जदयू और बीजेपी के बीच कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. एक तरफ बीजेपी की मर्जी के बिना जदयू सदन से प्रस्ताव पास करा रही है, तो वहीं अब बीजेपी भी डोमिसाइल के मुद्दे पर विपक्ष के सुर में सुर मिला रही है. ऐसे में ये सवाल उठने लगा है कि क्या बिहार की सियासत एक बार फिर करवट लेने की तैयारी में हैं या फिर ये सब प्रेशर-पॉलिटिक्स के लिए हो रहा है. ये चर्चा इसलिए भी गर्म है क्योंकि पिछले कुछ दिनों में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की दो बार मुलाकात हुई है और इसी दौरान एनआरसी और जाति आधारित जमगणना की मांग को सदन से पास भी करा दिया गया.