इनसे मिलिए, इनका नाम राकेश है । मुम्बई के अंधेरी इलाके में इनकी सेकंड हैंड पुस्तकों की एक छोटी सी दुकान है, जहां से आप लगभग 10/- रुपए में कोई भी पुस्तक किराए पे लेके पढ़ सकते हैं ।जब इनसे पूछा गया कि इस काम से आपका गुजर-बसर हो जाता है?? तो राकेश जी ने कहा कि- इस दुनिया में लोग पैसे इसलिए कमाते हैं ताकि वो अपने शौक पूरे कर सकें । .. मुझे पढ़ने का शौक़ है ..और वो शौक़ बिना पैसे खर्च किये ही पूरा हो रहा है, उसके अलावा बेसिक जरूरतों के लायक पैसा मिल ही जाता है, तो मैं संतुष्ट हूँ..
इंसान ही इंसान के काम आता है. ऐसा दुनिया में अधिकांश जगह देखने को मिलता है. भारत में तो ऐसा जगह-जगह दिखता है. दिल्ली का ‘बाबा का ढाबा’ (Baba Ka Dhaba) तो आप लोगों को याद ही होगा. सोशल मीडिया ने रातोंरात एक बुजुर्ग दंपती की किस्मत बदल दी थी. इसके बाद लोगों ने ऐसे ही जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए सोशल मीडिया पर लोगों से अपील करना शुरू किया. ऐसे में कई दिलचस्प कहानियां भी सामने आईं. ऐसी ही एक दिलचस्प कहानी है मुंबई के राकेश की. उनकी कहानी आईएएस अफसर अवनीश शरण ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर की है.
आईएएस अफसर अवनीश शरण ने मुंबई में रहने वाले राकेश की जानकारी देते हुए लिखा कि राकेश मुंबई के अंधेरी इलाके में सेकंड हैंड किताबों की एक छोटी सी दुकान चलाते हैं. उनकी दुकान से लोग महज 10 रुपये में कोई भी किताब पढ़ने के लिए किराये पर ले सकता है.
आईएएस अवनीश शरण ने यह भी जानकारी दी है कि राकेश का कहना है कि लोग पैसे इसलिए कमाते हैं ताकि वो अपने शौक पूरे कर सकें. उन्हें पढ़ने का शौक है और वो बिना पैसे खर्च किए ही पूरा हो रहा है. आईएएस की ओर से शेयर किए गए गए इस पोस्ट के बाद लोग ट्विटर पर काफी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. कुछ लोगों ने किताबों के प्रति अपना प्रेम भी दर्शाया है