दुनियाभर में कोहराम मचा रहे कोरोना वायरस का तोड़ मिल गया है। अमेरिका में वैज्ञानिकों ने अब तक लाइलाज कही जा रही इस बीमारी का टीका बना लिया है। अगले कुछ दिनों में इसका सीधे इंसान पर पहला परीक्षण करेंगे।
यह राहत भरी खबर तब आई है, जब इससे पहले ब्रिटेन के वैज्ञानिक कह चुके हैं कि वे अपने बनाए टीके का जून माह तक ही इंसानों पर परीक्षण करेंगे। हालांकि, अमेरिकी वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि एक साल में कोरोनारोधी लाखों टीके बाजार में. अपना रहे हैं। आमतौर पर मरीज के. उत्तेजित करता है। जो बाद में इससे उपलब्ध होंगे। अमेरिकी राज्य शरीर में एक कमजोर वायरस को लड़ सके। आरएनए तीन के ख मैसाचुसेट्स की जैव प्रौद्योगिकी उतारा जाता है, जिससे मरीज उसके जैविक मैक्रोमोलेक्यूल्स में से एक है।
कंपनी मॉर्डना ने यह टीका बनाया है, जरिये संक्रमण से लड़ सके, अमेरिकी इसके उलट ब्रिटेन के अनुसंधानकर्ता जिसके बाजार में जल्द उपलब्ध होने . वैज्ञानिक अलग तरीका अपना रहे हैं। एवं डॉक्टर रॉबिन शैटोक ने कहा है की संभावना है। अमेरिकी वैज्ञानिक इसके तहत वाहक रीबोन्यूक्लीक कि वे एक टीके का चूहे पर सफल इस टीके के असर को जांचने के लिए. एसिड इम्यून सिस्टम को जानलेवा परीक्षण कर चुके हैं लेकिन इंसान पर परंपरागत तरीके से अलग तकनीक वायरस जैसा प्रोटीन बनाने के लिए… इसका परीक्षण जून तक ही कर पाएंगे।
टीका काफी असरदार-डॉ. पॉल मैके
इस प्राथमिक टीके के लिए कोअलिशन फॉर एपिडेमिक प्रीपेअर्डनेस इनोवेशंस नामक संगठन ने आर्थिक मदद की है, जिसकी स्थापना अगस्त 206 में हुई थी। लंदन के वरिष्ठ अनुसंधानकर्ता डॉ. पॉल मैके ने कहा कि यह टीका काफी असरदार है। हमने मनुष्य पर इसके क्लीनिकल परीक्षण के लिए मेडिकल रिसर्च काउंसिल से आर्थिक मदद मांगी है।
कुछ वैज्ञानिक इस तरह हड़बड़ी में कोरोना रोधी टीका तैयार होने से चिंतित हैं।उनका कहना है कि ये मरीजों को स्वस्थ करने की बजाय उन्हें और जोखिम में डाल सकते हैं।