आर्थिक तंगी से परेशान पाकिस्तान और चीनी परियोजनाओं में निवेश ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ दिया है । इससे देश अपनी प्राथमिकताएं भूल गया है ।
पाकिस्तान सरकार ने अपनी आर्थिक तंगी को सुधारने के लिए विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक से ऋण भी मांगा था यह सोच कर कि इससे पाकिस्तान कि आर्थिक स्थिति सुधर जाएगी। पाकिस्तान ने विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक से जो ऋण मांगा था, वह G-20 देशों से मांगी गई 1.8 अरब डॉलर का कर्ज है जो कि पाकिस्तान के लिए सहायता से ज्यादा था ।
पाकिस्तान ने यह ऋण बाजार की स्थिरता, बाजार सुविधा, आपूर्ति उपायों और जरूरतों को मजबूत करने के लिए लिया था। लेकिन अब पता चला है कि पाकिस्तान कोरोना वायरस राहत सहायता का इस्तेमाल बिजली के बिल भरने के लिए कर रहा है। यह बात बेशक चोकाने वाली ही है, जहां कई देश इस संकट के समय में अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कर्ज ले रहे और वही पाकिस्तान है, जहां कोरोना वायरस राहत सहायता का इस्तेमाल, बिजली के बिल भरने के लिए कर रहा है।
आखिरकार कब तक पाकिस्तान में ऐसे हालात रहेंगे ? और क्या पाकिस्तान सरकार अपने खर्चों को कर्ज के पैसों से ही चुकाते रहेगी ? क्या इमरान खान प्रधानमंत्री पद पर कार्यरत बस तमाशा देखने के लिए ही है?