भारत को आंख दिखाने वाले पीएम पर अब खुद इस्तीफा देने का दवाब बन रहा है । उनकी ही पार्टी के लोग उनपर पद छोड़ने का दवाब बना रहे हैं । खबर है कि उन्हे हटाने के लिये जो स्टैंडिंग कमेटी बनी थी उनकी आज मीटिंग होना तय थी । जो कि ऐन मौके पर टाल दी गई । इस मीटिंग के टलने से ओली का भविष्य दो दिनों के लिये सुरक्षित हो गया है ।
माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें अपने भारत-विरोधी रवैये और राजनीतिक गतिविधियों पर पक्ष रखने का मौका देगी। इसके लिए नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष और ओली के धुर-विरोधी पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ खुद खुद उनसे चर्चा करेंगे।
गौरतलब है कि एनसीपी की मीटिंग आज सुबह 11 बजे होनी थी, लेकिन इसे आखिरी समय में टाल दिया गया। प्रचंड के प्रवक्ता ने बताया कि अध्यक्ष ने ओली को चर्चा के लिए समय दिया है। बताया गया है कि इससे पहले भी प्रचंड और ओली के बीच शुक्रवार को अनाधिकारिक बैठक हुई थी, ताकि पार्टी को किसी भी तरह की टूट से बचाया जा सके। हालांकि, इस बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला। जिसके बाद आज एनसीपी की 65 सदस्यीय समिति को ओली के भविष्य पर निर्णय लेना था।
नेपाली अखबार द काठमांडू पोस्ट अखबार के मुताबिक, ओली ने प्रचंड को साफ कर दिया है कि वे पद नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा है कि वे अपने इस्तीफे को छोड़कर किसी भी मुद्दे पर बात को तैयार हैं। अपनी कुर्सी बचाने के लिए ओली पार्टी के बड़े नेताओं से मिलकर अपने लिए सहयोग मांग चुके हैं। इनमें से कुछ नेताओं के तो वे ऑफिस या घर तक पहुंच गए।
क्या है विवाद, क्यों पार्टी के अध्यक्ष ने ही मांगा इस्तीफा?
2018 में केपी शर्मा ओली और पुष्प कमल दहल ने कम्युनिस्ट पार्टी के गठन का ऐलान किया था। मई 2018 में दोनों इस समझौते पर पहुंचे थे कि दोनों नेता सरकार को ढाई-ढाई साल चलाएंगे।
हालांकि, नवंबर 2019 में एक नए समझौते के मुताबिक, ओली पूरे पांच साल तक सरकार चलाने वाले थे, जबकि प्रचंड पूरे 5 साल पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए तय हुए। हालांकि, ओली के हालिया तेवरों को देखते हुए प्रचंड ने कहा है कि नेपाल के पीएम के तौर पर उनका काम बेहतर नहीं रहा है और ओली को अपना इस्तीफा दे देना चाहिए। साथ ही मई 2018 के अपने पुराने समझौते पर लौटते हुए प्रचंड ने खुद को पीएम बनाए जाने की मांग की है।