कालापानी विवाद पर नेपाल सरकार के आक्रामक रुख पर कूटनीतिक जानकारों ने हैरानी जताते हुए कहा है कि इसके पीछे चीन का प्रभाव भी हो सकता है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा है कि वह भारत को कालापानी क्षेत्र से अपने सशस्त्र बलों को हटाने के लिए कहेंगे। नेपाल ने कुछ दिन पहले भारत के मानचित्र में भी कालापानी क्षेत्र को लेकर अपनी आपत्ति जताई थी।
पूर्व विदेश सचिव शशांक का कहना है कि इस तरह की खबरे हैं कि नेपाल सीमा के कुछ इलाकों में चीनी सेना की भी मौजूदगी है इसे लेकर वहां काफी विरोध हो रहा हे। इसकी वजह से संतुलन साधने की रणनीति के तहत नेपाल सरकार कालापानी को लेकर सवाल उठा रही है।
उन्होंने इस आशंका से भी इनकार नहीं किया कि इसके पीछे चीन हो सकता है। उन्होंने कहा कि नेपाल का रुख निश्चित रूप से चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल के बीच काफी दोस्ताना रिश्ते रहे हैं। पूरी उम्मीद है कि भारत नेपाल को अपना पक्ष समझाने में सफल होगा।
सूत्रों ने कहा कि सरकार इस मामले को बहुत गंभीर नहीं मान रही है। जानकारों ने कहा कि इस मामले पर भारत का रुख नया नहीं है लेकिन पहली बार नेपाल की तरफ से इस तरह की आक्रामक बयानबाजी की जा रही है। उधर, विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने इस तरह की अटकलों को गलत बताया कि कालापानी मामले में भारत सरकार का कोई संदेश लेकर पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन को नेपाल भेजा गया है।
कालापानी विवाद का चीन कनेक्शन
विदेशी मामलों के जानकार कमर आगा का कहना है कि नेपाल कालापानी का मुद्दा चीन की शह पर उठा रहा है। कमर आगा ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइनसे बातचीत में कहा कि चीन की नीति भारत को घेरने की है और इसी वजह से वह पर्दे के पीछे से इस मुद्दे को हवा दे रहा है। उन्होंने कहा कि चीन नेपाल तक अपनी रेललाइन बना रहा है और उसकी कोशिश नेपाल को अपने पाले में लाने की है। चीन नेपाल में अरबों रुपये का निवेश कर रहा है। नेपाल भी चीन की ‘वन बेल्ट, वन रोड’ योजना में शामिल है। आगा ने कहा कि चीन की कोशिश के बाद भी नेपाल को भारत पर से अपनी निर्भरता को खत्म करना बेहद मुश्किल होगा।
बता दें कि वर्ष 2017 में डोकलाम विवाद के समय भी चीन ने कालापानी का जिक्र करके भारत को सख्त संदेश देने की कोशिश की थी। चीन ने कहा था कि अगर वह उत्तराखंड के कालापानी इलाके में ‘प्रवेश’ करता है तो दिल्ली क्या करेगा? यही नहीं चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने हाल ही में नेपाल का 2 दिनों का दौरा किया था।
नेपाल से मजबूत हो रही चीन की दोस्ती
हिमालय की गोद में बसे इस देश के साथ चीन ने रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने के साथ ही 56 बिलियन की सहयोग राशि देने का भी ऐलान किया था। पिछले 20 वर्षों में किसी चीनी राष्ट्रपति की यह पहली नेपाल यात्रा थी। नेपाल के साथ लगातार संबंध प्रगाढ़ करने में जुटे चीन के राष्ट्रपति ने कहा, ‘चीन सदैव नेपाल की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय एकता को मजबूत करने के लिए खड़ा रहेगा।’ राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि चीन ने इशारों में भारत को सुनाने के लिए यह संदेश दिया था।