सत्ता संभालने के कुछ ही हफ्ते बाद जब पीएम इमरान खान ने अचानक करतारपुर कॉरिडोर को खोलने की बात कही तभी से भारत के कई सुरक्षा विशेषज्ञ पड़ोसी देश की इस दरियादिली को लेकर संशकित है। अब पाकिस्तान के एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री ने भी इस शंका को मजबूत कर दिया है। शंका इस बात की है कि करतारपुर कॉरिडोर को खोलने के पीछे कहीं पाकिस्तान का असल मकसद पंजाब प्रांत में अलगाववादी भावनाओं को भड़काना तो नहीं है।
इमरान खान कैबिनेट के रेल मंत्री शेख राशिद ने कहा है कि करतारपुर गलियारा जनरल बाजवा के दिमाग की उपज है और भारत इसका खामियाजा लंबे समय तक भुगतेगा। कहने की जरुरत नहीं है कि उन्होंने इस बयान से परोक्ष तौर पर करतारपुर बार्डर को खालिस्तान में अलगाववादी आतंक से जोड़ने की कोशिश की है।
रेल मंत्री राशिद पहले भी अपने भारत विरोधी बयानों के लिए जाने जाते हैं और अपने बयानों से इमरान खान सरकार की भी किरकिरी कराते रहे हैं। शनिवार को उनकी तरफ से दिया गया बयान भी कम विवादास्पद नहीं है। एक तरफ तो उन्होंने अपने पीएम इमरान खान को भी झूठा करार दिया जो करतारपुर गलियारे का श्रेय स्वयं ले चुके हैं। उनके बयान से उनकी सरकार की भी भद पिटी है। क्योंकि पाकिस्तान की पीटीआइ सरकार करतारपुर गलियारे को खोलने का पूरा श्रेय पीएम इमरान खान को देती है।
9 नवंबर को ही एक भव्य कार्यक्रम में पीएम खान ने भारत से आमंत्रित कई गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए करतारपुर गलियारे का उद्घाटन किया था। तब उन्होंने स्वयं इस गलियारे का श्रेय लिया था। अब उनकी सरकार के रेल मंत्री ने ही पीएम के दावे को नकारने की कोशिश की है। राशिद ने करतारपुर गलियारे का पूरा श्रेय जनरल बाजवा को दे दिया है।
रेल मंत्री राशिद ने कहा है कि, ”करतारपुर बार्डर को खोल कर जनरल बाजवा ने भारत को जो घाव दिया है वह उसे लंबे समय तकयाद रखेगा। जनरल बाजवा ने भारत को बड़ा धक्का दिया है। पाकिस्तान ने शांति के लिए नया माहौल बनाया है और सिख समुदाय का भरोसा जीता है।”
एक दिन पहले ही पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त हो रहे पाक सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल में सशर्त छह महीने का इजाफा किया है। जबकि पीएम इमरान खान की इच्छा यह थी कि उनका कार्यकाल तीन वर्ष और बढ़ाया जाए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पड़ोसी देश में राजनीतिक तापमान काफी बढ़ा हुआ है। रेल मंत्री राशिद कोई कद्दावार नेता नहीं है और संभवत: उन्होंने सेना को खुश करने के लिए यह बयान दिया हो। हालांकि इस चक्कर में उन्होंने परोक्ष तौर पर खालिस्तान आतंकवाद की तरफ इशारा कर दिया है।
ऐसा नहीं है कि भारत करतारपुर कॉरिडोर से खालिस्तान आतंकवाद के नए सिरे से शुरु होने के खतरे को लेकर पूरी तरह से चुप्प है। पूर्व में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने स्वयं यह बात कही थी। पाकिस्तान के साथ जब भारत के विदेश व गृह मंत्रालय के अधिकारियों की जब कॉरिडोर पर चर्चा शुरु हुई तो भारत ने इस बात का स्पष्ट तौर पर जिक्र किया। दोनो देशों के बीच हुए समझौते में इसका जिक्र है कि वहां जाने वाले धार्मिक यात्रियों की भावनाओं को भड़काने या भारत विरोधी गतिविधियों का कोई कोई काम नहीं होगा।