भूटान दुनिया के अन्य देशों से अलग कैसे है ये समझने के लिए आपको ये जानना जरूरी है कि यहां नागरिकों को टेलीविजन रखने अनुमति 1999 में मिली. ये देश प्राकृतिक दृश्यों और शानदार संस्कृति से भरा पूरा है, चाहे तो पर्यटन से ही अपनी आर्थिक स्थिति को काफी मजबूत कर सकता है लेकिन इसके बावजूद यहां पहुंचना आसान नही.
दक्षिणी एशिया से बाहर के पर्यटकों के लिए तो यहां आना बहुत मुश्किल और महंगा भी क्योंकि यहां ऐसे पर्यटकों को 250 डॉलर प्रतिदिन के हिसाब से चुकाने होते हैं. बता दें कि यहां पहली बार विदेशी पर्यटक को आने की अनुमति 1970 में मिली थी.
इतना अजीब होने के बावजूद दुनिया भर में ये देश कई अच्छी मिसालें भी कायम कर चुका है. इस देश का दुनिया भर में नाम होने का एक मुख्य कारण यहां के राजा भी हैं. यहां के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक समय-समय पर दुनिया भर से शाबाशी बटोरते रहते हैं. आपको बता दें कि भूटान पर हमेशा से एक ही वंश का राज रहा है. जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक, वांग्चुक वंश के पांचवे राजा हैं.
1. राजा ही है पहरेदार
जिस देश का राजा स्वयं अपनी सीमाओं का प्रहरी बन जाए उस देश की प्रजा को सबसे अच्छी नींद आती है. कुछ इसी तरफ की चैन की नींद इन दिनों भूटान की जनता ले रही है क्योंकि दुनिया पर मंडरा रहे कोरोना नामक काल की सारी चिंता यहां के राजा ने खुद पर ले ली है. जी हां, भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक इन दिनों विश्व मीडिया की सुर्खियों में बने हुए हैं. इसका कारण है उनका लगातार देश की सरहद की निगरानी करना.
जिस तरह से कोरोना वायरस फैल रहा है उसे देखते हुए भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक अपने देश की पूर्वी सेना पर पांच दिन की पेट्रोलिंग पर निकले थे. उनकी पेट्रोलिंग ये सुनिश्चित करने के लिए थी कि कहीं कोई अवैध तरीके से उनके देश की सीमा में तो नहीं घुस रहा. इससे देश में कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है. इस पेट्रोलिंग के दौरान राजा वांग्चुक के साथ भूटान के प्रधानमंत्री लोतेय त्शेरिंग भी थे. बता दें कि भूटान के राजा ने इस महामारी के दौरान 15वीं बार अपनी सरहदों का दौरा किया है.
2. कीडू रिलीफ़ सिस्टम
राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक के सबसे महत्वपूर्ण और प्रचलित कार्यों में किडू सिस्टम शामिल है. इस मुहिम के माध्यम से भूटान के लोग अपनी समस्याएं सीधे राजा तक पहुंचा सकते हैं. असल में ये सिस्टम बना ही लोगों की देखभाल के लिए है. भूटान के लोग रॉयल चेम्बरलेन के कार्यालय में आवेदन करते हैं, जिसके बाद वर्किंग आउर के दौरान आवेदन स्वीकार किया जाता है. वहीं हर जिले में ज़ोंगखग किडू अधिकारियों के माध्यम से भी आवेदन भेजा जाता है. इन अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे सभी आवेदनों को जमा करें तथा उन लोगों की पहचान करें जिन्हें मदद की ज़रूरत है. इसके बाद मदद की अपील सीधे राजा तक पहुंचती है. इसके अलावा राजा लोगों की अपील को सीधे तौर पर सुनने के लिए अपनी यात्राओं के दौरान जगह जगह सड़क किनारे अपील करने वाली जनता से मिलते हैं.
कीडू योजना के अंतर्गत असमर्थ छात्रों की मुफ्त शिक्षा का खर्च उठाना, बुजुर्ग नागरिकों और जरूरतमंदों का उपचार कराना आदि शामिल है. भूटान के लोगों को कोरोना महामारी के दौरान भी इस कीडू योजना का काफी लाभ मिला है. कोरोना महामारी में लोगों की सहायता के लिए इस योजना को अप्रैल 2020 में शुरू किया गया तथा ये योजना मार्च 2021 तक चली. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद 22 अप्रैल 2021 को इस योजना को 15 महीनों के लिए बढ़ा दिया गया. पिछले साल अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक 37000 लोगों तथा उनके बच्चों को इस योजना का हर महीने लाभ मिला.
3. किसानों को दी सरकारी जमीन
भले ही हम सालों से जय जवान जय किसान का नारा लगाते आ रहे हों लेकिन किसान को अन्नदाता मान कर उनकी असल मदद राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक ही कर रहे हैं. भूटान में भूमिहीन किसानों को राज्य की जमीन देने की परंपरा पहले से चली आ रही है. राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक ने भी इस परंपरा को जारी रखा है. इस परियोजना के कारण राजा देश भर के दूर-दराज के गांवों और समुदायों तक खुद पहुंचते हैं तथा उनकी समस्याएं सुनते हैं.
4. तंबाकू बैन
2010 में आज ही के दिन यानी 16 जून को तंबाकू तथा इससे बने पदार्थों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया था. इसे यहां के लोग राष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाते हैं. इस बैन के लिए यहां की जनता राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक को धन्यवाद देती है. बुद्ध अनुयायियों की ज्यादा आबादी होने के कारण यहां धूम्रपान या तंबाकू को बुरा माना जाता है. यही वजह है कि इस देश में तंबाकू उगाना, तैयार करना और उसे बेचना कानूनन अपराध माना जाता है. इसके लिए लंबी सजा का प्रावधान है. हालांकि यहां 2004 से ही तंबाकू पर बैन लगा है लेकिन 6 जून 2010 को टोबेको कंट्रोल एक्ट बिल भूटान के संसद में पेश किया गया तथा 16 जून को इसे मंजूरी मिली. इसी वजह से यहां हर 16 जून को तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है.
5. आर्थिक मजबूती से ज़्यादा जरूरी है लोगों की खुशी
दुनिया का लगभग हर देश अपनी जीडीपी यानी ग्रोस डोमेस्टिक प्रोडक्ट को बढ़ाने में लगा हुआ है वहीं भूटान एकमात्र ऐसा देश है जहां जीडीपी से ज्यादा जीएचआई यानी ग्रोस हैपीनेस इंडेक्स को महत्व दिया जाता है. यह देश अपनी समृद्धि को यहां के लोगों की खुशी के स्तर से नापता है. ये कॉन्सेप्ट राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक के पिता राजा जिगमे सिंग्याए वांगचुक लेकर आए थे ताकि भूटान को दुनिया का सबसे खुश देश बनाया जाए. अपने पिता के बाद राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक ने भी इसे जारी रखा. हालांकि विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध भी किया लेकिन उसके बावजूद लोगों की खुशी को सबसे उपर रखा गया.
6. पर्यावरण को बचाने में हैं सबसे आगे
अपने राजा की अगुवाई में यहां की जनता आज भी पर्यावरण को बचाने में जी जान से लगी हुई है. एक तरफ जहां दुनिया भर में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है वहीं भूटान ने हर तरह से प्रदूषण फैलाने वाली चीजों पर रोक लगाई है. यह दुनिया का पहला ऐसा देश है जिसे कार्बन नेगेटिव कंट्री का खिताब प्राप्त है. इसका कारण है इस देश का प्रकृति से घिरा होना तथा दुनिया में सबसे ज्यादा ऑक्सीजन पैदा करना. कानूनी नियमों के अनुसार इस देश की 60% जमीन पर जंगल होना अनिवार्य है. इस समय यहां के 72 फीसदी हिस्से में जंगल हैं. प्लास्टिक से होने वाले नुकसान को इस देश ने बहुत पहले भांप लिया था. यही वजह है कि यहां 1999 से ही प्लास्टिक की थैलियां बैन हैं.
7. अपने राजा को पूजते हैं यहां के लोग
भूटान में राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक की लोकप्रियता भ्रामक नहीं है बल्कि यहां के लोग सच में इन्हें बहुत मानते हैं. यही वजह है कि यहां लोगों की दुकानों से लेकर पोस्टर्स तक पर राजा, रानी और उनके बच्चे की तस्वीर लगी होती है. 2015 में जब राजा-रानी को पहला बच्चा हुआ तब यहां के लोगों ने बड़े अलग तरीके से ये खुशी मनाई. राजकुमार ग्यालसे के जन्म पर यहां के लोगों द्वारा देशभर में 1,08,000 पौधे लगाए गए थे.
साभार – इंडिया टाइम्स