बड़ी उम्र के लोगों को होने वाला डिप्रेशन अब तेजी से स्कूल जाने वाले बच्चों को अपना आसान शिकार बना रहा है। एक शोध के नतीजे बताते हैं कि बच्चों में तेजी से बढ़ रही आत्महत्या की घटनाओं के पीछे सबसे बड़ी वजह यही डिप्रेशन है। अहम बात यह है कि बच्चों में डिप्रेशन के कारण बहुत ही छोटे-छोटे होते हैं, जिन्हें अभिभावक और समाज समझ नहीं पाते। विडम्बना यह कि जो मां-बाप उन्हें दुनिया में लाते हैं प्राय: उन्हीं की महत्वाकांक्षाओं का दबाव उनकी जान ले लेता है।
डिप्रेशन यह एक सायकोटिक डिसऑर्डर है, जिसमें दो सप्ताह या इससे भी लंबे समय तक उदासी बनी रहती है। बच्चा किसी काम में दिलचस्पी नहीं लेता और उसमें नकारात्मक सोच आने लगती है। उसकी ऊर्जा का स्तर लगातार घटता चला जाता है और रोजमर्रा की जिंदगी बिल्कुल अस्त-व्यस्त हो जाती है।
झुंझलाहट, व्यवहार में बदलाव:
डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों में झुंझलाहट तनाव का एक बड़ा संकेत है। इस दौरान कई बच्चों में भावों की कमी और स्वभाव में बदलाव भी देखा जा रहा है। तनाव और घबराहट के कारण हार्मोन और रसायनों में परिवर्तन हो सकता है, जिसका असर शारीरिक तौर पर भी दिखाई देता है।डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों के साथ समय बिताएं। उनका भरोसा हासिल करें कि थोड़ी सावधानियों की बदौलत, वे पूरी तरह सुरक्षित हैं। उनका एक अच्छा सा रूटीन बनाकर उन्हें व्यस्त रखें।
डिप्रेशन के कारण:
जेनेटिक कारण बच्चों में डिप्रेशन भर सकते हैं। माता-पिता में से यदि कोई एक डिप्रेशन का शिकार हो तो बच्चों में डिप्रेशन आना स्वाभाविक हो जाता है। किसी भी अपराधबोध से ग्रस्त होना, जिंदगी को बोझ मानना और मनपसंद काम को न कर पाने की लाचारी।बच्चे के आसपास का वातावरण भी उसे अवसाद ग्रसित कर सकता है, जैसे पारिवारिक कलह या अनबन की स्थिति में वह खुद को सबसे दूर रखना चाहता है। पर जब ऐसा नहीं कर पाता तो डिप्रेशन में चला जाता है।कहीं से भी प्रशंसा या सराहना न मिलने पर भी बच्चे तनाव का शिकार हो जाते हैं।माता-पिता की उम्मीदों पर खरा न उतर पाने से उत्पन्न दबाव। बच्चों की आपस में या बाहर किसी से तुलना करने पर भी बच्चे तनाव का शिकार हो जाते हैं।
प्राणायाम दिलाए राहत:
प्राणायाम में सूर्य नमस्कार सबसे अच्छा है और खासकर किशोर इसे अच्छी तरह करते भी हैं। अगर यह कठिन लगे तो सरल कपालभाति, नाड़ी शोधन, भस्त्रिका, सूर्य भेदी आदि में से किसी एक का अभ्यास योग गुरु के मार्गदर्शन में किया जा सकता है।
आहार पर दें विशेष ध्यान:
उनके खाने में ताजे-मीठे फल, हरी साग-सब्जियों, सलाद, दूध, दही, मीठी लस्सी, गन्ने का रस, अंगूर, संतरा आदि को प्रमुखता से शामिल करें। स्कूल की टिफिन के लिए अचार-परांठे और भारी खाना न दें, क्योंकि ये उनकी मानसिक ऊर्जा को प्रभावित करते हैं। कड़क चाय, कॉफी आदि से उन्हें दूर ही रखें।