एक शायर की वो चंद लाइन ‘चाहे गीता पाठिये या पढ़ये कुरान, तेरा मेरा प्यार ही हर पुस्तक का ज्ञान’। लगता है यह लाइने मेरठ के एक मदरसा चलाने वाले मौलाना महफूज उर रहमान शाहीन जमाली चतुर्वेदी पर बिलकुल सही बैठती है। शाहीन जमाली एक नई मिशाल साबित हो रहे हैं। वह मेरठ में एक मदरसा इम्दादुल इस्लाम चलाते हैं। खास बात ये है कि वे इस मदरसे में कुरान के साथ-साथ चारों वेदों गीता और रामायण का भी ज्ञान देते हैं।
मिला ‘चतुर्वेदी‘ का अनोखा खिताब
मौलाना शाहीन जमाली को चारों वेदों का ज्ञान होने की वजह से चतुर्वेदी का खिताब भी दिया गया है। जिसकी वजह से मौलाना महफूज उर रहमान शाहीन जमाली ‘मौलाना चतुर्वेदी’ के नाम से मशहूर हैं।
मौलाना बच्चों को पढ़ाते समय संस्कृत के श्लोकों के साथ कुरान की आयतों का भी हवाला दते हैं। उन्होंने हिंदुओं की धार्मिक पुस्तकों या वेदों का भी गहरा अध्ययन किया है। वो कहते हैं, लोग यह सोचते हैं कि अगर ये मौलाना हैं तो फिर चतुर्वेदी कैसे हैं? हिंदू धर्म में चारों वेदों का अध्ययन करने वालों को ‘चतुर्वेदी’ कहा जाता है तो उन को भी चारों वेदों का ज्ञान है।
धार्मिक पुस्तकों में रूचि
मौलाना की पढाई दारुल उलूम से हुई है। पढ़ाई पूरी करने के बाद मौलाना शाहीन जमाली को संस्कृत सीखने इच्छा हुई। उसके बाद वेदों और हिन्दुओं के बाकी धार्मिक पुस्तकों में उनकी रूचि बढ़ती चली गई। मौलाना महफूजुर्रहमान शाहीन जमाली चतुर्वेदी ने न सिर्फ मदरसा दारुल उलूम देवबंद से इस्लामिक शिक्षा प्राप्त की बल्कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से संस्कृत की शिक्षा भी ली।
ये सदर बाजार स्थित 132 साल पुराने मदरसा इमदादउल इस्लाम के प्रधानाचार्य हैं। मौलाना का कहना है कि उन्होंने प्रो। पंडित बशीरुद्दीन से संस्कृत की शिक्षा हासिल करने के बाद एएमयू से एमए (संस्कृत) किया था। अपने उप नाम (चतुर्वेदी) की तरह बशीरुद्दीन के आगे पंडित लिखे जाने के बारे में बताया कि उन्हें संस्कृत का विद्वान होने के चलते पंडित की उपाधि देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने दी थी।
हिंदू और मुस्लिम दर्शन की दे रहे तालीम मौलाना चतुर्वेदी ने बताया कि मदरसे में देश के विभिन्न राज्यों के 200 से ज्यादा छात्र हैं। छात्रों को अरबी, फारसी, हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू की तालीम दी जाती है। यहां हाफिज, कारी और आलिम की डिग्री मिलती है। यहां वह मदरसे के छात्रों को इस्लाम के साथ हिंदू दर्शन के बारे में जानकारी देते हैं। मौलाना चतुर्वेदी ने बताया कि उन्होंने धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक विषयों पर लिखते भी है इनमें खासतौर पर इस्लाम और हिंदू धर्म के बीच गलत फहमियों को दूर करने का प्रयास किया गया है।
देश भक्ति की भावना से बढ़ता है देश
मौलाना चतुर्वेदी कहते हैं की देश किसी भी धर्म के भड़काऊ चीजों से नहीं, बल्कि देश भक्ति की भावना से आगे बढ़ता है। उनका कहना है कि भाषा कोई भी हो वह इस्लाम के खिलाफ नहीं है। हर भाषा खुदा की नेमत है किसी भी भाषा से दूरी रखना इस्लाम की शिक्षा नहीं है। उनका कहना है कि उन्होंने गीता रामायण और चारों वेदों का ज्ञान प्राप्त किया।
मौलाना चतुर्वेदी का कहना है कि वह मेरठ के सदर में मदरसा चलाते हैं जो कि हिंदू बाहुल्य क्षेत्र है लेकिन आज तक उनको वहां के लोगों से कोई परेशानी नहीं हुई बल्कि यहां के लोग जो हिंदू है वह अपने धार्मिक कार्यक्रमों में भी उनको बुलाते हैं और सारे दुख-दर्द में भी शरीक रहते हैं।
बीएचयू मुस्लिम प्रोफेसर का विरोध पर बोले मौलाना
उनका कहना है कि ज्ञान सबका होना चाहिए। उनका कहना है कि हिंदू यूनिवर्सिटी बनारस में एक मुस्लिम प्रोफेसर का विरोध हो रहा है। वह संस्कृत के बड़े आलिम हैं। उनको संस्कृत सिखाने के लिए ही वहां रखा गया है लेकिन दूसरे लोग उनका विरोध कर रहे हैं। यह नासमझी की बात है कोई भी धर्म नफरत नहीं सिखाता भाषा, धर्म से जुड़ी हुई चीज नहीं है। धर्म में भाषा को नफरत का माध्यम नहीं पा सकते भाषा सांसारिक व्यवहार के लिए होती है इसको धर्म से जोड़ना मुनासिब नहीं है।
आगे उनका कहना है कि मुस्लिम किताबें हों या हिंदू किताबें हों सबका एक ही ज्ञान है। हम सब भाई-भाई हैं क्योंकि हम सब एक की संतान हैं। उनका कहना है कि शिक्षा और ज्ञान में अंतर होता है शिक्षा तो स्कूल में कॉलेजेस में विश्वविद्यालय में प्राप्त करते हैं लेकिन ज्ञान इससे ऊंचे दर्जे की चीज है शिक्षा की रोशनी इंसान की नजर से जुड़ी होती है। शिक्षा से आदमी संसार को देखता है लेकिन ज्ञान की रोशनी हृदय में आती है। दिल में आती है।
सभी धर्म देते हैं इंसानियत का पैगाम
मौलाना शाहीन जमाली चतुर्वेदी के बेटे मसूद उर रहमान भी चतुर्वेदी हैं और अपने पिता से पाई हुई शिक्षा को और उनकी मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं। उनका कहना है कि मदरसों में तालीम दोनों ही तरीके से होनी चाहिए। संस्कृत की कुरान की लोगों को बताया जाए सारे धर्म इंसानियत का पैगाम देते हैं।
धर्म के बिना मानवता का विकास असंभव है ईश्वर को ना जाने कितनी भाषाओं में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। हर देश की भाषा अलग है और ईश्वर का नाम भी अलग-अलग है। हालांकि ईश्वर एक है लेकिन नाम अलग-अलग है। बहराल यह एक ऐसा मदरसा है जहां पर कुरान के साथ आपको रामायण भी मिल जाएगी और दोनों का ज्ञान भी साथ साथ हासिल होता हुआ दिखाई देगा ।