उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मंगलवार को एक विवादित अध्यादेश को मंजूरी दी है। इसके तहत सिर्फ शादी के लिए किए गए धर्मपरिवर्तन पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। इस अपराध के लिए अधिकतम 10 साल तक की सजा और 50,000 रुपए तक जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है।
राज्य मंत्रिमंडल ने ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म-परिवर्तन प्रतिवेध अध्यादेश-2020’ को मंजूरी दी है। इसे मंगलवार को ही राज्यपाल की मंजूरी के लिए भी भेज दिया गया है। विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक, धर्मपरिवर्तन के लिए दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को सूचना देना अनिवार्य किया गया है।
अध्यादेश जिस फैसले पर बना, अदालत उसे रोक चुकी
गौर करने लायक है कि उत्तर प्रदेश सरकार यह अध्यादेश इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले को आधार बनाकर लाई है। उसमें हाईकोर्ट ने कहा था, ‘अास्था में परिवर्तन के बिना सिर्फ शादी के लिए धर्म बदलकर इस्लाम अपना लेना वैध नहीं है।’ हालांकि इसमें दिलचस्प बात ये हुई है कि हाईकोर्ट ने इसी सोमवार को अपने इस फैसले पर रोक लगा दी है।
सीएम योगी की अध्यक्षता में कुल 21 प्रस्तावों पर मुहर लगी, जिनमें सर्वाधिक चर्चित और प्रतीक्षित धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश को भी स्वीकृति दे दी गई। जबरन धर्मांतरण को लेकर तैयार किए गए मसौदे में इन मामलों में दो से सात साल तक की सजा का प्रस्ताव किया गया था, जिसे सरकार ने और कठोर करने का निर्णय किया है। इसके अलावा सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में भी तीन से 10 वर्ष तक की सजा होगी। जबरन या कोई प्रलोभन देकर किसी का धर्म परिवर्तन कराया जाना अपराध माना जाएगा।
उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि यूपी कैबिनेट उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म समपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020′ लेकर आई है। जो उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था सामान्य रखने के लिए और महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए जरूरी है। 100 से ज्यादा घटनाएं सामने आई थी जिनमें जबरदस्ती धर्म परिवर्तित किया जा रहा है। इसके अंदर छल-कपट, बल से धर्म परिवर्तित किया जा रहा है। इस पर कानून बनाना एक आवश्यक नीति बनी, जिस पर कोर्ट के आदेश आए हैं। मंगलवार को कैबिनेट अध्यादेश लेकर आई, जिसे मंजूरी दे दी गई।
मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के लिए 15,000 रुपये के जुर्माने के साथ एक से पांट साल की जेल की सजा का प्रावधान है। एससी/एसटी समुदाय की महिलाओं और नाबालिगों के धर्मांतरण पर 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ तीन से दस साल की जेल की सजा होगी।
कोरोना वायरस संक्रमण काल में सीएम योगी आदित्यनाथ वैश्विक महामारी पर अंकुश लगाने के नित नए प्रयास के साथ ही विकास कार्य को भी वरीयता दे रहे हैं। अपनी कैबिनेट के साथ बैठक में भी सीएम योगी आदित्यनाथ का फोकस विकास के कार्य के साथ ही प्रदेश की कानून-व्यवस्था सुधारने पर भी रहता है। लव जिहाद भी कानून-व्यवस्था का बड़ा मामला बनता जा रहा है। प्रदेश सरकार ने इस पर भी नियंत्रण लगाने के लिए धर्मांतरण अध्यदेश लेकर आई है। मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में लव जिहाद कानून पर विस्तृत चर्चा के बाद इस पर मुहर लगा दी गई है। हाई कोर्ट की ओर से आए फैसले के बाद थोड़ा बदलाव करते हुए राज्य सरकार ने एक धर्म से दूसरे धर्म में शादी पर नया कानून सरकार ने पास किया है।