पहले प्रमोटरों की लड़ाई और उसके बाद गहरे वित्तीय संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के यस बैंक पर भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को एक महीने के लिए प्रतिबंध लगा दिया। आरबीआइ ने यस बैंक की लगातार खराब होती वित्तीय स्थिति को देखते हुए यह प्रतिबंध गुरुवार रात आठ बजे से 30 दिनों तक लागू होगी। इस बीच इसके नए प्रबंधन की व्यवस्था होगी।
साथ ही यस बैंक के मौजूदा निदेशक बोर्ड को 30 दिनों के लिए निरस्त कर दिया गया है और एसबीआइ के पूर्व सीएफओ प्रशांत कुमार को प्रशासक नियुक्त किया गया है। इस एक महीने में बैंक का कोई खाताधारक 50 हजार रुपये से ज्यादा नहीं निकाल सकेगा। विशेष परिस्थितियों में अतिरिक्त 50,000 रुपये निकासी की इजाजत दी गई है। एसबीआइ के निदेशक बोर्ड ने यस बैंक में निवेश को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। एसबीआइ व एलआइसी की अगुआई में वित्तीय संस्थानों को यस बैंक की बड़ी हिस्सेदारी हस्तांतरित की जा सकती है।
रिजर्व बैंक ने एसबीआई के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी प्रशांत कुमार को यस बैंक का नया प्रशासक नियुक्त किया है। आरबीआई ने एक बयान में कहा है कि यस बैंक पर यह रोक तीन अप्रैल तक जारी रहेगी। बैंकिंग नियामक का कहना है कि खाताधारकों और निवेशकों के हित को देखते हुए यह फैसला किया गया है और अगले कुछ दिनों में निकासी सीमा से जुड़ी नई जानकारी भी दी जाएगी। इसके अलावा यह भी बताया गया है कि निकासी सीमा से जुड़ी रोक बैंक ड्राफ्ट या बैंकर्स चेक पर लागू नहीं होगी।
लंबे समय से संकट में था : निजी क्षेत्र का यस बैंक काफी समय से बढ़ते डूबे कर्ज की समस्या जूझ रहा था। बैंकिग नियमों के अनुपालन के लिए बैंक को दो अरब डॉलर की जरूरत है लेकिन पिछले दो साल में कई निवेशकों से बातचीत के बावजूद वह राशि जुटाने में असफल रहा है। इससे पहले सरकार ने एसबीआई और अन्य वित्तीय संस्थानों को नकदी संकट से जूझ रहे यस बैंक के अधिग्रहण की मंजूरी दे दी थी।
दूसरा विकल्प नहीं था : रिजर्व बैंक ने कहा है कि नए निवेश जुटाने की कई दौर की बातचीत विफल *रहने पर बैंक के मौजूदा निवेशकों और खाताधारकों की चिंता बढ़ती जा रही थी। ऐसी स्थिति में निवेशको को हित को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने यस बैंक का नियंत्रण सीधे अपने हाथ में ले लिया है। उसके पास यह कदम उठाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था।