येल यूनिवर्सिटी ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत में दंगों के बाद भाजपा के वोट शेयर में बढ़ोत्तरी हुई है, वहीं कांग्रेस पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा है। येल यूनिवर्सिटी के के पॉलिटिक्ल साइंटिस्ट गेरेथ नेलिस, माइकल वेवर और स्टीवन रोजेनवेग ने यह रिपोर्ट तैयार की है। जिसका टाइटल “Do Parties matter for ethnic violence? Evedence from India” दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी जैसे बीजेपी का वोट शेयर दंगों के बाद हर साल चुनावों से पहले 0.8 प्रतिशत बढ़ा है। वहीं दंगों के चलते मतदाताओं के ध्रुवीकरण से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा है।’
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 1962 से लेकर 2000 तक कांग्रेस सभी नजदीकी चुनाव हारी थी, इसके चलते देश में 10% कम सांप्रदायिक दंगे हुए। इकॉनोमिक टाइम्स की खबर के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया है कि एक कांग्रेस एमएलए के चुनाव से अगले चुनावों से पहले दंगों में 32% की कमी देखी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, “दंगों से जातीय ध्रुवीकरण होता है, जिससे जातीय धार्मिक राजनैतिक पार्टियों को फायदा मिलता है। वहीं हिंदू मुस्लिम दंगों से कांग्रेस को चुनावों में नुकसान उठाना पड़ा है और दंगों से जातीय धार्मिक राजनैतिक पार्टियां मजबूत हुई हैं।”
‘भारत 1947 में उपमहाद्वीप के विभाजन के दौरान हिंदू मुस्लिम हिंसा देख चुका है और ऐसी आशंकाएं थी कि आजादी के बाद दोनों समुदायों के बीच की घृणा एक बार फिर देश का बंटवारा करा देगी।’ रिपोर्ट में यह टिप्पणी की गई है। इसके साथ ही लिखा गया है कि जिन जगहों पर कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा है, वहां दंगों में कमी देखी गई है।