पतंजलि को रुचि सोया के अधिग्रहण के 4,000 करोड़ रुपये का कर्ज चाहिए……. पतंजलि अपनी जेब से सिर्फ 600 करोड़ देकर 12 हजार करोड़ की रूचि सोया कम्पनी खरीद रही हैं लेकिन अब नई समस्या यह है कि रेटिंग एजेंसियों ने बाबा रामदेव की पतंजलि के कर्ज की रेटिंग घटा दी है
रेटिंग फर्म का कहना है कि पतंजलि द्वारा इस कर्ज पर कोई कॉरपोरेट गारंटी नहीं दी जा रही है। अब बैंकरों को कंपनी की कर्ज भुगतान की क्षमता को लेकर संशय पैदा हो गया है,
हालांकि रेटिंग फर्म केयर ने 17 अक्टूबर को रेटिंग घटाने के कुछ दिन बाद ही अपनी रेटिंग वापस ले ली। केयर ने इसके पीछे तर्क दिया कि कंपनी के आग्रह करने तथा बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किए जाने के बाद रेटिंग वापस ली गई है
पतंजलि ने इनसॉल्वेंसी ऑक्शन में रुचि सोया को खरीदा है, पतंजलि ने NCLT के सामने जो योजना प्रस्तुत की है उस योजना में बैंको को रुचि सोया पर 12,100 करोड़ रुपये के बकाये पर 65 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ेगा लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि ‘रुचि के मौजूदा बैंकर अधिग्रहण के लिए पतंजलि को फिर से कर्ज दे रहे हैं। यह ताजा कर्ज पहले के कर्ज पर नुकसान उठाने के बाद दिया जा रहा है। आदर्श स्थिति में नया कर्ज अलग बैंकों या विदेशी ऋणदाताओं के पास आना चाहिए था।
लेकिन अब वही बैंक जो पहले से ही रुचि सोया में घाटा खा चुके हैं उनसे ही पतंजलि दुबारा रूचि सोया को खरीदने के लिए कर्ज मांग रही है ओर वह देने को तैयार भी नजर आ रहे हैं….. इसे कहते हैं पूंजीवाद
-Girish malviya