कल निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी को ड्रामेबाज कहा है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने मजदूरों के साथ बैठकर, उनसे बात करके उनका समय बर्बाद किया. उन्हें मजदूरों के साथ सामान उठाकर उनके साथ पैदल जाना चाहिए था. उन्हें मजदूरों के बच्चों को और उनके सामान को उठाकर उनके साथ चलना चाहिए था. राज्यों को जहां कांग्रेस की सरकार है उनसे क्यों नहीं कहते कि और ट्रेनें मंगाए और मजदूरों को घर लेकर आएं. सोनिया गांधी से कहती हूं कि पलायन कर रहे मजदूरों के मुद्दे को जिम्मेदारी से डील करना चाहिए.
निर्मला सीतारमण राहुल गांधी को ड्रामेबाज कहने से पहले अपने प्रधानमंत्री बॉस मोदी को फेंकू और जुमलेबाज कहना क्यों भूल गई?
आप मंत्री महोदया द्वारा कहे गए एक एक शब्दों पर गौर कीजिए.. भक्ति का चश्मा उतर चुका होगा तभी नाकामियों पर लानत भेज पाएंगे।
अब नोट कीजिए
#उन्होंने कहा,’ राहुल गांधी ने मजदूरों के साथ बैठकर, उनसे बात करके उनका समय बर्बाद किया. उन्हें मजदूरों के साथ सामान उठाकर उनके साथ पैदल जाना चाहिए था”.
#जाहिर सी बात है निर्मला मैडम ने यातायात की व्यवस्था नहीं होने के कारण पैदल अपने गांव लौटने वाले मजदूरों के लिए ट्रेनों और बसों की उपलब्धता करवाने की बजाए उनकी मुसीबतों का समर्थन करती दिखाई दे रहीं है।
#मंत्री महोदया ने आगे कहा, “राज्यों को जहां कांग्रेस की सरकार है उनसे क्यों नहीं कहते कि और ट्रेनें मंगाए और मजदूरों को घर लेकर आएं. सोनिया गांधी से कहती हूं कि पलायन कर रहे मजदूरों के मुद्दे को जिम्मेदारी से डील करना चाहिए”
#तो इसमें सबसे पहले ये क्लियर कर देता हूं कि राहुल गांधी जिन मजदूरों से कल मिले वो बिहार और यूपी के थे, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार है और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लेकिन देश की वित्त मंत्री को लगता है कि इन दोनों राज्यों की मुख्यमंत्री सोनिया गांधी है और उनको ही ट्रेनों कि व्यवस्था करनी चाहिए।
#औरैया और औरंगाबाद हादसे में खून से सनी प्रवासियों की लाशें पूरे देश ने देखी है। लेकिन वो लाशें देश की वित्त मंत्री को क्यों नहीं दिखाई दी? अगर दिख जाती तो निश्चित रूप से वो मजदूरों के पैदल घर लौटने पर रोक लगाते हुए अपनी सरकार से ज्यादा से ज्यादा ट्रेनों को चलाने का आग्रह करती।
#अबतक बीच सड़क पर घर लौटने के क्रम में डेढ़ सौ से ज्यादा लोगो की मौतें हो चुकी है लेकिन मंत्री महोदया की बेशर्मी कि पराकाष्ठा देखिए उन्होंने मरे हुए प्रवासियों को श्रद्धांजलि देना भी उचित नहीं समझा।
इनपुट – डेलीबिहार