बेहद शर्म की बात है कि आज जब पूरा विश्व कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक साथ खड़ा है, तब भी हमारा हिंदुस्तान हिन्दू और मुसलमान जैसे जाहिलाना मुद्दों पर लड़ रहा है। इतने गंभीर माहौल में भी मीडिया के प्रकांड जूटाचट्टन गोदी पत्रकार निजामुद्दीन मरकज का हवाला देते हुए देश के मुसलमानों को कोरोना का जिम्मेदार बताकर ‘कोरोना जिहाद’ का तमगा दे रहे है तो कोई ‘जमात का अघात’ बताकर देश के मुसलमानों को नीचा दिखा रहा है और यही कारण है कि विश्व भर में वायरस कहा जाने वाला कोरोना हिंदुस्तान में आकर सांप्रदायिक हो गया है।
ये दलाल पत्रकार ऐसे रिएक्ट कर रहे है जैसे कोरोना इंडिया में निज़ामुद्दीन ने ही लाया हो, इससे पहले कोरोना भारत में आया ही नहीं था, चार दिन पहले आनंद विहार बस अड्डे पर खड़ी तीस हज़ार लोगों की भीड़ से किसी को कोरोना का संकट नहीं आया, दुनिया के दूसरे देशों से प्लेनों द्वारा लाए जा रहे कोरोना पॉज़िटिव लोगों से किसी को दिक्कत नहीं है, सबको दिक्कत है तो बस निज़ामुद्दीन मरकज से। दरअसल ये कोई दिक्कत नहीं है, ये एक खास प्रोपगेंडा है जिसके बाद ये लोग एक खास धर्म को नीचा दिखाना शुरू कर देते है।
निज़ामुद्दीन मरकज के मसले पर पूरे मुसलमान समुदाय को कटघरे में खड़ा करने से पहले क्या हमने पूरे मामले की तहकीकात करना उचित समझा?
क्या हमने ये जानने की कोशिश की, कि वो वहां किस परिस्थिति में फंसे हुए थे?
नहीं, बल्कि मीडिया में चल रही खबरों को पढ़ कर हमने खुद ये तय कर लिया कि वो लोग कोरोना फैलाने के लिए वहां छिपे हुए थे।
ख़ैर, हम सवाल उठा ही रहे थे कि इसी बीच साम्प्रदायिकता की आड़ में राजनीति और पत्रकारिता कर रहे लोगो के मुंह पर तमाचा जड़ते हुए एक चिट्ठी सामने आ गई, जिसमें तबलीगी जमात ने एसडीएम को अर्जी देकर 17 गाड़ियों के लिए कर्फ्यू पास मांगा था ताकि वहां फंसे लोगों को घर वापस भेजा जा सके ! मर्कज़ इंतजामियां के पत्र से यह भी खुलासा हो गया है कि मर्कज़ में लोगों की मौजूदगी की जानकारी दिल्ली पुलिस को समय से दी गई थी और 23 मार्च को जब 21 दिनों का लॉकडाउन शुरू हुआ तो दिल्ली पुलिस को पूरे मामले की जानकारी थी।
यह चिट्ठी मरकज के मौलाना यूसुफ ने हज़रत निज़मुद्दीन के SHO को लिखा थी, इसमें उन्होंने कहा,
“24 मार्च को आपकी चिट्ठी मिली थी। हम मरकज को बंद करने की कोशिश कर रहे हैं। हमने 23 मार्च तक 1500 से ज्यादा लोगों को यहां से बाहर निकाला है। यहां अभी भी हजार से अधिक लोग हैं। आपके निर्देशों के मुताबिक़ हमने SDM से कांटेक्ट किया है ताकि गाड़ियों के लिए पास मिल सके और हम बाकी लोगों को भी भेज सकें। SDM ऑफिस से 25 मार्च की सुबह 11 बजे मीटिंग तय है। आपसे गुजारिश है कि काम को जल्दी से निपटाने के लिए आप SDM से संपर्क करें। हम आपके निर्देशों पर चलने को तैयार हैं। सहयोग के लिए आपका शुक्रिया करते हैं और आगे आपके निर्देशों के तहत काम करने को तैयार हैं।”
ताज़ा जानकारी के लिए आपको बता दें कि मरकज में इकट्ठा भीड़ में से कोरोना वायरस से संक्रमित 24 मरीज पाए गए हैं । वहीं इस जमात में शामिल होने वाले लोगों में 07 की मौत हो गई है। जिसमें से 06 तेलंगाना और 1 श्रीनगर का शख्स है।
अब सवाल यह उठता है कि कोरोनावायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए बरती जा रही सतर्कता के बीच देश की राजधानी दिल्ली में पुलिस द्वारा इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई?
मीडिया सरकार और सांप्रदायिक झुंड अभी सोच ही रहा था कि इतनी बड़ी लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है और इससे पहले कोई आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू होता दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन ने आयोजकों को ही जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें अपराधी बता दिया। वहीं दिल्ली पुलिस के लिए दुखड़ा रोने वाले मुख्यमंत्री केजरीवाल ने निज़ामुद्दीन मरकज के मौलाना के ऊपर FIR की मांग कर दी।
अब जब आपने भी उन्हें अपराधी करार कर ही दिया है तो एक बार यह भी देखिए कि क्या कहना है तबलीगी जमात का ;
- जब ‘जनता कर्फ्यू’ का ऐलान हुआ, उस वक्त बहुत सारे लोग मरकज में थे। उसी दिन मरकज को बंद कर दिया गया। बाहर से किसी को नहीं आने दिया गया। जो लोग मरकज में रह रहे थे उन्हें घर भेजने का इंतजाम किया जाने लगा।
- 21 मार्च से ही रेल सेवाएं बन्द होने लगीं। इसलिए बाहर के लोगों को भेजना मुश्किल था। फिर भी दिल्ली और आसपास के करीब 1500 लोगों को घर भेजा गया। अब करीब 1000 लोग मरकज में बच गए थे।
- जनता कर्फ्यू के साथ-साथ 22 मार्च से 31 मार्च तक के लिए दिल्ली में लॉकडाउन का ऐलान हो गया। बस या निजी वाहन भी मिलने बंद हो गए। पूरे देश से आए लोगों को उनके घर भेजना मुश्किल हो गया।
- प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का आदेश मानते हुए लोगों को बाहर भेजना सही नहीं समझा। उनको मरकज में ही रखना बेहतर था।
- 24 मार्च को SHO निज़ामुद्दीन ने हमें नोटिस भेजकर धारा 144 का उल्लंघन का आरोप लगाया। हमने इसका जवाब में कहा कि मरकज को बन्द कर दिया गया है। 1500 लोगों को उनके घर भेज दिया गया है। अब 1000 बच गए हैं जिनको भेजना मुश्किल है। हमने ये भी बताया कि हमारे यहां विदेशी नागरिक भी हैं।
- इसके बाद हमने एसडीएम को अर्जी देकर 17 गाड़ियों के लिए कर्फ्यू पास मांगा ताकि लोगों को घर भेजा जा सके। हमें अभी तक को पास जारी नहीं किया गया। 25 मार्च को तहसीलदार और एक मेडिकल कि टीम आई और लोगों की जांच की गई।
- 26 मार्च को हमें SDM के ऑफिस में बुलाया गया और DM से भी मुलाकात कराया गया। हमने फंसे हुए लोगों की जानकारी दी और कर्फ्यू पास मांगा। 27 मार्च को 6 लोगों की तबीयत खराब होने की वजह से मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया।
- 28 मार्च को SDM और WHO की टीम 33 लोगों को जांच के लिए ले गई, जिन्हें राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में रखा गया।
- 28 मार्च को ACP लाजपत नगर के पास से नोटिस आया कि हम गाइडलाइंस और कानून का उल्लंघन कर रहे हैं। इसका पूरा जवाब दूसरे ही दिन भेज दिया गया।
- 30 मार्च को अचानक ये खबर सोशल मीडिया में फैल गई की कोराना के मरीजों की मरकज में रखा गया है और टीम वहां रेड कर रही है।
- अब मुख्यमंत्री ने भी मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिए। अगर उनको हकीकत मालूम होती तो वह ऐसा नहीं करते।
- हमने लगातार पुलिस और अधिकारियों को जानकारी दी के हमारे यहां लोग रुके हुए हैं। वह लोग पहले से यहां आए हुए थे। उन्हें अचानक इस बीमारी की जानकारी मिली।
हमने किसी को भी बस अड्डा या सड़कों पर घूमने नहीं दिया और मरकज में बन्द रखा जैसा के प्रधानमंत्री का आदेश था। हमने ज़िम्मेदारी से काम किया।
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