धर्म एक ऐसी चीज़ हैं जो इंसान को इंसान बनाये रखने में मदद करती हैं। दुःख में उसे प्रेरणा देती है और सु:ख में एहंकारी बनने से बचाती हैं। लेकिन यह धर्म तभी तक एक खूबसूरत चीज हैं जब तक इसमें और इसको मानने वाले लोगों के बीच कोई व्यक्ति न आ जाये।मुस्लिम धर्म में ऐसे लोगों को मौलवी कहा जाता हैं, या लोग धर्म के मायनों को ही बदल देते हैं और इंसान कब जानवर से ज्यादा खूंखार बन जाता हैं। यह उसे भी पता नहीं चलता। इसका नतीजा पूरी मानवता को आतंकवाद के रूप में देखने और महसूस करने को भी मिला।
अक्सर आपने इन्हीं मौलवियों को कहते सुना होगा की, अल्लाह ने धरती बनाई हैं, धरती चपटी हैं, हवा में उड़ ना जाये इसलिए इसपर पहाड़ रखे गए, वगैरह वगैरह… लेकिन जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस की चपेट में आने की वजह से परेशान हैं उस वक़्त काबा, चर्च और यहां तक की सिखों के धर्म स्थल श्री हरिमंदिर साहिब को भी बंद कर दिया गया हैं।
पूरी दुनियां की निगाहें इस वक़्त दुनिया भर के वैज्ञानिकों पर टिक्की हुई हैं। पवित्र जल, अमृत, जम-जम सभी तरह के पानी इस वक़्त कोरोना वायरस से लोगों को नहीं बचा पा रहे। जो पादरी बड़ी-बड़ी स्टेजों पर एड्स जैसी बिमारी ठीक करने का दावा करते हैं वह खुद इससे बचने के लिए मास्क लगाकर घूम रहे हैं।
इसी को लेकर मुस्लिम फिलॉस्फर तसलीमा नसरीन ने अपने ट्विटर पर लिखा है की, “अल्लाह का घर काबा बंद है। मस्जिदें बंद हैं। चर्च की सेवाएं स्थगित हैं। किसी भी प्रार्थना कक्ष में पूजा के लिए अधिक भीड़ नहीं। कोई भगवान हमारी मदद नहीं करेगा। वैज्ञानिक हमारी मदद करेंगे। हम वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं। नास्तिक बनने के लिए सबसे अच्छा समय।”