भारत के एक झील को लेकर NASA मंगल ग्रह से जुड़े कनेक्शन की तलाश में जुटी है। आपको भारत की उस झील के बारे में बताते हैं जो एक उल्कापिंड के टकराने की वजह से ही बनी है। इससे जुड़ी ताज़ा जानकारी ये सामने आई है कि भारत की ये झील 5 लाख 70 हजार साल पुरानी है और नासा के वैज्ञानिक इस झील का मंगल ग्रह से कनेक्शन पता लगाने में जुटे हैं।
दुनिया के लिए आश्चर्य भारत की एक झील
आखिर भारत की एक झील में नासा को इतनी दिलचस्पी क्यों हुई, हम इस सवाल का जवाब तलाशेंगे लेकिन उससे पहले इस लेक की पूरी जानकारी आपको देते हैं। ये झील महाराष्ट्र के बुलढाना ज़िले में है। जिसका नाम लोनार लेक है। इसका ऊपरी व्यास करीब 7 किलोमीटर का है और गहराई करीब 150 मीटर है।
भारत की इस झील का सच जानने में जुटा NASA
अब इससे जुड़ी ताज़ा खबर आपको बताते हैं। हाल ही में लोनार झील पर हुए शोध में ये बात सामने आई है कि ये लगभग 5 लाख 70 हजार साल पुरानी झील है और रामायण, महाभारत काल में भी इस झील का अस्तित्व था। वैज्ञानिकों का मानना है कि उल्का पिंड के पृथ्वी से टकराने के कारण ये झील बनी थी, लेकिन उल्का पिंड कहां गया इसका आज तक पता नहीं चला है।
इस झील को लेकर कई पौराणिक ग्रंथों में भी जिक्र मिलता है। जानकार बताते हैं कि झील का जिक्र ऋग्वेद और स्कंद पुराण में भी मिलता है। इसके अलावा पद्म पुराण और आईन-ए-अकबरी में भी इसका जिक्र है। यहां कई प्राचीन मंदिरों के अवशेष भी हैं। इनमें दैत्यासुदन मंदिर भी शामिल है। ये भगवान विष्णु, दुर्गा, सूर्य और नरसिम्हा को समर्पित है। इनकी बनावट खजुराहो के मंदिरों जैसी है।
अब इस झील का मंगल ग्रह से कनेक्शन भी आपको समझाते हैं। नासा के वैज्ञानिकों ने कुछ साल पहले इस झील को बेसाल्टिक चट्टानों से बनी झील बताया था। साथ ही ये भी कहा था कि इस तरह की झील मंगल की सतह पर पाई जाती है। क्योंकि इसके पानी के रासायनिक गुण भी वहां की झीलों के रासायनिक गुणों से मेल खाते हैं।