पिछले कुछ सालों में हमारे देश की शिक्षा के मद में खर्च की बेहताशा वृद्धि हुई है । देश के शीर्ष कहे जाने वाली संस्थानों के फीस के बारे में कोई भी मध्यम वर्गीय अभिभावक सोच भी नहीं सकता । लॉ के क्षेत्र में शीर्षस्थ CLAT की फीस करीब करीब 10 से 12 लाख के अधिक हैं । ये आंकड़ा ऊपर के NLU के हैं । निचले स्तर के NLU की फीस काफी अधिक हैं ।
NLU क्या हैं और इसकी स्थापना के पीछे सरकार के क्या उद्देश्य थे?
अगर 1940 से 50 तक देखा जाए तो लॉ या वकालत की पढ़ाई हमारे समाज की मुख्य धारा में शामिल था और हमारे सभी मुख्य नेता इसकी पढ़ाई के लिए विदेश गए थे । बाद में लोगों ने इसकी पढ़ाई के लिए देश के कुछ चुनिंदा कॉलेज यथा ILS Pune, GLC Mumbai और BHU Banaras आदि को चुना। बाद में लोकल यूनिवर्सिटीज में भी लॉ की पढ़ाई शुरू हो गई । लेकिन इन यूनिवर्सिटीज में अच्छी पढ़ाई नहीं होने के कारण लॉ की पढ़ाई का स्तर बिल्कुल नीचे चला गया और इस तरह की पढ़ाई से पढ़े हुए विद्यार्थियों के कारण हमारे कोर्ट भी निम्नस्तरीय शिक्षाविदों से भरने लगा । इसी उद्देश्य को ध्यान में रख कर 1986 में Haward Law college को आधार मान कर National law college के रूप में NLS Banglore की स्थापना की गई ।
हालांकि इससे पहले दिल्ली लॉ कॉलेज में लॉ की पढ़ाई की जा रही थी। इसके बाद 1998 में Nalsar Hyderabad दूसरे लॉ कॉलेज के रूप में स्थपित किया गया । बाद के वर्षों में इसी के तर्ज पर देश के सभी क्षेत्रों में NLU की स्थापना की गई । अब तक इन NLU की परीक्षा अलग अलग ली जाती थी । 2008 में इन सभी NLU को जोड़ कर CLAT की स्थापना की गई ।
बढ़ी हुई फीस छात्रों को या तो विदेश भेज दे रही है या कॉरपोरेट
इनके पढ़ाई का स्तर तारीफे कबिल था । लेकिन इन NLU के साथ बहुत अधिक फीस होने की समस्या आने लगी जिसका समाधान बैंको ने अपने EDUCATION LOAN के द्वारा किया । अगर TOP NLU की बात करें तो इनमें बच्चे अगर लोन लेकर भी पढ़ते हैं तो उनके लिए ये फायदे मंद ही साबित होते हैं । क्योंकि अंतिम सेमेस्टर के पहले ही देश के टॉप कॉरपोरेट उन्हें काफी हाई पैकेज पर नौकरी दे देती है या फिर बच्चे विदेश की कंपनी को ज्वाइन कर लेते हैं । यहां चूँकि अधिकतर बच्चे लोन की रकम चुकाने को बेबस होते हैं तो उनके पास कोई चारा भी नहीं होता ।
Nalsar Hyderabad के वाईस चांसलर Shri Faizan Mustafa ने पिछले दिनों इस बात पर चिंता जताई । उनका कहना था कि, “बहुत अधिक फीस होने के कारण NLU अपने उद्देश्य से भटक गया है । अर्थात शायद ही कोई बच्चा NLU से पढ़ाई करने के बाद कोर्ट ज्वाइन करता है । ऐसे में सरकार ने जिस कारण से NLU की स्थापना की थी वो बिल्कुल गौण हो रहा है, और इसका फायदा कॉरपोरेट ले रही है। इसका मुख्य कारण निः संदेह ऊँची फीस है ।” तो अगर सरकार के द्वारा अच्छी शिक्षा का लाभ वापस सरकार को न मिलकर देशी विदेशी कंपनी को मिले तो इससे अधिक घाटे का सौदा और किसे कहे ? दूसरी ओर अगर कोर्ट की ओर देखें तो कानून की लंबी प्रक्रिया के कारण कोई भी कोर्ट जाने से डरता है कितने ही केस फैसले के कारण लंबित पड़े हुए हैं । बहुत से कानून समय परिवर्तन के कारण बदलाव चाहते हैं । इन जगहों पर नई पीढ़ी का आगमन निश्चय ही सब के लिए लाभदायक होगा जो देश में मौजूद श्रेष्ठ और काबिल कानूनविदों जोकि उत्कृष्ट संस्थान से पढ़े हुए हैं मात्र सरकार की गलत तरीके के कारण संभव नहीं दिखाई देता है ।
ज्ञात हो कि पिछले कुछ दिनों से एनएलयू के कुछ छात्र बीते 10-12 दिनों से हड़ताल पर थे । उनका कहना था कि युनिवर्सिटी जिस हिसाब से पैसा ले रही है, उस हिसाब से उन्हे मुलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही । इंटरनेट नहीं है फिर भी वाई-फाइ के नाम पर हरेक साल 9 हजार रूपये युनिवर्सिटी वसूल रही है । छात्रों का आरोप था कि यूनिवर्सिटी नहीं दुकान चल रही है । हरेक साल ढ़ाई लाख फीस लेने के बावजूद भी संस्थान बस छात्रों का शोषण कर रही है ।