जम्मू-कश्मीर सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला के खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत की गई नजरबंदी को खत्म कर दिया गया। आज उन्हें रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता ने कहा कि आज मैं आजाद हूं। मेरे पास कहने के लिए कोई शब्द नहीं हैं। अब मैं संसद जा सकता हूं।
इससे पहले राज्य के गृह सचिव शालीन काबरा ने एक आदेश में कहा कि 17 सितम्बर को अब्दुल्ला पर लगाया गया पीएसए को हटा दिया गया है। अब्दुल्ला पर लगाए गए पीएसए की अवधि 13 दिसम्बर को बढ़ा दी गई थी।
रिहाई के बाद उन्होंने कहा, ‘मैं राज्य और देश की जनता और नेताओं का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने मेरी आजादी के लिए आवाज उठाई। यह आजादी तभी पूरी होगी जब सभी नेताओं को रिहा कर दिया जाएगा। मुझे उम्मीद है कि भारत सरकार सभी नेताओं की रिहाई के लिए जल्द कदम उठाएगी।’ साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब तक सभी नेताओं को रिहा नहीं कर दिया जाता है, मैं किसी भी राजनीतिक मुद्दें पर नहीं बोलूंगा।
#WATCH NC MP Farooq Abdullah released from detention, says,” I’m grateful to people of the State&all leaders&people in the rest of the country who spoke for our freedom. This freedom will be complete when all leaders are released. I hope GoI will take action to release everyone”. pic.twitter.com/zKS6EamydV
— ANI (@ANI) March 13, 2020
5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से घाटी में किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए वहां के स्थानीय नेताओं को नजरबंद कर लिया गया था। पिछले साल 4 अगस्त से अब्दुल्ला नजरबंद थे और प्रशासन के पीएसए हटाने के करीब सात महीने बाद वह रिहा होंगे। फारुख अब्दुल्ला समेत उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन को नजरबंद किया गया था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले महीने कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के नजरबंदी से जल्द रिहा होने की प्रार्थना कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि वे कश्मीर में हालात को सामान्य बनाने में योगदान देंगे।
मोदी सरकार ने हटाया था अनुच्छेद 370
मोदी सरकार द्वारा पिछले वर्ष पांच अगस्त को जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को हटा दिया गया था, जिसके बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया। इसी समय से एहतियात के तौर पर जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों नेशनल कॉन्फ्रेंस से फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से महबूबा मुफ्ती सहित दर्जनों राजनेताओं को नजरबंद कर दिया गया था।