प्रेम की निशानी ताजमहल के दिवाने पुरी दुनिया में है । सफेद संगमरपर पर की गई नक्काशी दुनिया भर के पर्यटकों को अपने ओर लुभाती है । लेकिन अब कोरोना काल ने इसके दीदार पर ग्र’हण लगा दिया है । इतने दिनो से वाह ताज करने वाले अब आह ताज करने को मजबूर हो गए हैं । असल में हम बात कर रहे हैं उन ट्रेवल एजेंट और गाइड की जिन्होने हमेशा ताज की खुबसुरती को बढ़ाने का काम किया है ।
ताजमहल की खूबसूरती का हर कोई दीवाना है। सफेद संगमरमर पर तराश कर बनाई गई मोहब्बत की निशानी को देखने दुनिया भर से पर्यटक आते हैं। अब 4 महीने से ज्यादा समय से बंद है तो इसके दीदार करने वाले भी मायूस हो गए हैं। अब ना अपना चेहरा दिखाने वाला ताज है और ना ही उसके सौंदर्य का वर्णन करने वाले पर्यटक। ऐसे में पूरा पर्यटन उद्योग ही चौ’पट हो चुका है। कभी ताज की खूबसूरती देखकर वाह ताज कहने वालों के मुंह से आह ताज निकल रहा है।
दुनिया के विभिन्न देशों राष्ट्राध्यक्ष उनके परिवार के लोग हों या आम पर्यटक। भारत आने पर उन्हें ताज का दीदार जरूर करना है। बिना इसके उनकी यात्रा पूरी ही नहीं होती। उसमें भी ताज जैसे स्मारक जो प्रेम का प्रतीक हों तो पर्यटकों को अलग ही अनुभूति होती है। रोज हजारों लोगों को देखकर अपने सौंदर्य पर इतराने वाला ताज आज खामो’श है। उसके आंगन में वी’रानी छाई है । पर्यटक दूर-दूर तक नजर नहीं आते। इन हालातों ने पर्यटन उद्योग की कमर तो’ड़ कर रख दी है। 5000 करोड़ रुपए सालाना के टर्न ओवर वाले इस उद्योग में मात्र 4 माह में 2000 करोड़ का नुकसा’न हो चुका है। जानकार मानते हैं कि लगभग 2 साल तक इससे उ’बर पाना मुश्किल है। इस उद्योग से जुड़े होटल, एंपोरियम, रेस्तरां, गाइड, शिल्पकार, ट्रैवल एजेंट घर पर बैठने को मजबू’र हैं।