नई दिल्ली । स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर के एक प्रोफेसर ने शानदार खोज की है. यह ना सिर्फ क्लीन एनर्जी पैदा करेगा, बल्कि कॉस्ट इफेक्टिव भी है. इसे सिर्फ एक चुटकी नमक और कपड़े के एक टुकड़े की मदद से तैयार किया गया है. इसके जरिए उन दूरस्थ इलाकों में रोशनी पहुंचाई जा सकती है, जहां उर्जा के पारंपरिक स्रोत मौजूद नहीं हैं.
इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य नैनोस्केल एनर्जी हार्वेस्टिंग के जरिए बिजली की जरूरतों को पूरा करना है. यह सोलर पैनल्स के मुकाबले ज्यादा सस्ता है. आईआईटी खड़गपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. सुमन चक्रवर्ती ने कहा कि, ‘सूखे कपड़े हमारे जीवन का एक हिस्सा है, लेकिन यह किसने सोचा था कि यह उर्जा को स्रोत बन जाएगा. अब इसे नैनोस्केल हार्वेस्टिंग के जरिए बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.’ प्रोफेसर ने बताया कि ‘नमक हर घर में होता है. यह इस परियोजना को बेहद अनूठा, आसान और व्यवहार्य बनाता है. यह प्रक्रिया हमारे कपड़ों में पाए जाने वाले सेलूलोज़-आधारित टेक्सटाइल पर टिका है जिसमें नैनो-चैनलों का एक नेटवर्क है.’
उन्होंने बताया कि ‘खारे पानी में आयन कैपलेरी एक्शन के जरिए फाइब्रस इंटरलेस नैनोस्केल नेटवर्क के माध्यम से आगे बढ़ सकते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में बिजली पैदा होती है.’ एक पायलट परीक्षण में दूरदराज के गांव में 3,000 वर्ग मीटर के सतह क्षेत्र में सुखाने के लिए लगभग 50 कपड़े थे. ये कपड़े एक वाणिज्यिक सुपर-कैपेसिटर से जुड़े थे, जिसने 24 घंटों में लगभग 10 वोल्ट एनर्जी डिस्चार्ज की. यह एनर्जी एक घंटे से अधिक समय तक एलईडी को जलाए रख सकती हैं.’
डॉ. चक्रवर्ती ने कहा – ‘थोड़ा नमक और कपड़े के एक टुकड़े के साथ पानी का एक कटोरा कुछ मिलीवाट्स बिजली पैदा कर सकता है. यह एक छोटी सी झोपड़ी को रोशन करने के लिए पर्याप्त है. आप कल्पना कर सकते हैं कि यह बड़े पैमाने पर कितना प्रभावी होगा.’ चक्रवर्ती ने कहा कि ‘इस डिवाइस की एक और खासियत है कि यह करेंट के लिए कपड़े की सतही ऊर्जा का उपयोग कर सकता है. इसके ठीक उलट अन्य तरीकों से बिजली उत्पादन उपकरणों को बाहरी पंपिंग संसाधनों की आवश्यकता होती है. ऐसे में यह ग्रामीण संसाधनों की मौजूदगी में कम लागत वाली एनर्जी हार्वेंस्टिंग का एक सस्ता रूप है.’
IIT इस परियोजना को पश्चिम बंगाल सरकार के समक्ष भी प्रस्तावित करेगी जिसके जरिए ग्रामीण इलाकों में बिजली की जरूरतें पूरी हो सकेंगी. चक्रवर्ती ने कहा कि ‘यह हमारी कल्पना से परे था कि एक गीले कपड़े को प्राकृतिक वातावरण में सुखा कर फ्रेश एनर्जी पैदा की जा सकती है. यह आविष्कार ग्रामीण भारत में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा. यह हम लोगों के लिए दीवाली का तोहफा है.’