सात साल जूनियर डॉक्टर रहे लियो का पूरा परिवार भी डॉक्टर है। लियो की आयरलैंड में सराहना हो रही है….आयरलैंड में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था ‘द हेल्थ सर्विस एग्जीक्यूटिव’ ने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से 17 मार्च को एक अपील की। इसमें रिटायर्ड हो चुके हेल्थ वर्कर्स से लेकर अन्य किसी प्रोफेशन में काम कर रहे लोगों से स्वास्थ्य सेवाएं जॉइन करने का अाग्रह किया गया था। अपील करने के बाद महज तीन दिन के अंदर 50 हजार स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने अपनी सेवाएं देने की इच्छा जाहिर की। देश के मेडिकल रजिस्टर में पंजीकरण कराने वाले आयरलैंड के प्रधानमंत्री डॉ. लियो वर्दाकर भी थे। लियो राजनीति में आने से पहले फिजिशियन रहे हैं। इन दिनों वह दोहरी भूमिका निभा रहे हैं। राजनीतिक कामों के अलावा वह लोगों का इलाज भी कर रहे हैं।
साल 2019 में मिस इंग्लैंड का ताज जीतने वाली भाषा मुखर्जी पेशे से श्वसन तंत्र डॉक्टर भी हैं। फिलहाल उन्होंने मिस इंग्लैंड का अपना ताज उतारकर कोरोनावायरस से जूझ रहे इंग्लैंड में डॉक्टर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाल ली है। इसके लिए मुखर्जी ने उस अस्पताल से संपर्क किया जहां वह पहले काम कर रही थी। उन्होंने अस्पताल को बताया कि मैं डॉक्टर के तौर पर फिर से काम पर लौटना चाहती हैं।
अपने डॉक्टरी करियर से ब्रेक लेकर मॉडलिंग करियर में आने वाली भाषा ने अब यह तय कर लिया है कि कोरोनावायरस महामारी के संकट में वह अपनी महत्वाकांक्षाओं को पीछे रखकर डॉक्टर होने का फर्ज निभाएंगी।
दिसंबर 2019 में बनीं मिस इंग्लैंड बनीं
मिस इंग्लैंड का खिताब जीतने के बाद भाषा मुखर्जी को कई देशों में चैरिटी के लिए न्यौता दिया गया था। इसी सिलसिले में वह पिछले महीने ही भारत में थीं। 24 वर्षीय भारतीय मूल की भाषा मुखर्जी ने अपने भारत प्रवास के दौरान कई स्कूलों का दौरा किया था। जहां उन्होने स्टूडेंट्स को किताबें और दूसरी पढ़ाई- लिखाई की चीजे डोनेट की। इसके अलावा वह तुर्की, अफ्रीका और पाकिस्तान भी गई थीं।
9 साल की उम्र में आईं इंग्लैंड
नौ साल की उम्र में इंग्लैंड आई भाषा ने अपनी पढ़ाई- लिखाई इसी देश में की है। दुनिया के अलग- अलग देश घूम रही मुखर्जी को अपने डॉक्टर दोस्तों से वहां की हालत के बारे में लगातार मैसेज मिल रहे थे। जिसके बाद इंग्लैंड में विकराल होती कोरोना महामारी को देखते हुए भाषा ने वापस डॉक्टरी करियर में लौटने का मन बना लिया।
भाषा मुखर्जी का मानना है कि बेशक वो मिस इंग्लैंड के तौर पर इंसानियत के लिए ही काम कर रही थीं। लेकिन जब दुनिया भर में लोग कोरोना वायरस से मर रहे हैं और उनके डॉक्टर साथी इतनी मेहनत कर रहे हैं, उनका ताज पहन कर घूमना शायद सही नहीं होगा। इसलिए णब वह महत्वाकांक्षाओं को पीछे रखकर डॉक्टर होने का फर्ज निभा रही है।