देश और दुनिया के जानमाने कारोबारी रतन टाटा का आज जन्मदिन है। रतन टाटा 21 साल तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे। 1991 में उन्हें ये जिम्मेदारी मिली और अपने 75वें जन्मदिन तक उन्होंने चेयरमैन का कार्यभार संभाला। इस दौरान ग्रुप के रेवेन्यू में कई गुने का इजाफा हुआ, 2011-12 में ग्रुप का कुल रेवेन्यू 100 बिलियन डॉलर रहा।
रतन टाटा अपने बिजनेस करियर के दौरान तुरंत और बड़े फैसले लिए जाने के लिए जाने जाते हैं। चाहे हाल का साइरस मिस्त्री को ग्रुप के चेयरमैन पद से हटाने का फैसला हो या, जेगुआर लैंड रोवर का खरीदने का फैसला। कभी-कभी उन्हें निराशा भी हाथ लगी। लेकिन हम यहां उनके बिजनेस और करियर के बारे में नहीं बल्कि उनकी निजी जिंदगी के बारे में बात कर रहे हैं।
रतन टाटा की सबसे महत्वकाक्षी योजनाओं में से एक थी आम लोगों की लखटकिया कार, जिसे नैनो का नाम दिया गया। नैनो सिर्फ टाटा ग्रुप का बिजनेस प्रोजेक्ट ही नहीं रतन टाटा का सपना बन गया था। लेकिन ये प्रोजेक्ट कुछ खास सफल नहीं हो पाया।
अब आपको ऐसा लग रहा होगा कि हम उनके करियर के बारे में बातें करने जा रहे हैं। ऐसा नहीं है, यहां बात होगी रतन टाटा के 4 बार मोहब्बत की, ऐसी मोहब्बत जो अपने मुकाम तक नहीं पहुंच सकी है। ऐसा खुद उन्होंने CNN को कुछ साल पहले दिए इंटरव्यू में कहा था।
रतन टाटा की बातों को गौर से सुने तो वो कहते नजर आए कि 4 बार उन्होंने ‘सीरियसली’ प्यार किया। उन्होंने बताया कि एक बार तो उन्हें शादी वाला मुकाम हासिल होने ही वाला था कि भारत-चीन युद्ध(1962) हो गया। इस किस्से के बारे में रतन टाटा कहते हैं कि उस वक्त वो अमेरिका में काम करते थे, उन्हें शिद्दत वाला प्यार हो गया। वो कुछ काम के सिलसिले में स्वदेश वापस लौट गए, उनकी प्रेमिका भी आने वाली थी कि भारत-चीन विवाद शुरू हो गया। फिर क्या, वो नहीं आई और कुछ वक्त बाद उनकी शादी यूएस में ही किसी और से हो गई।
रतन कहते हैं कि वो 4 बार शादी करने के बेहद करीब थे, लेकिन कुछ न कुछ ऐसी वजहें आ गईं की वो शादी नहीं कर सके और आजीवन कुंवारे ही रह गए।