बात छब्बीस साल पुरानी है। जब एकाएक नये नवेले गोरखनाथ मठ के योगी सबके रहनुमा बन गये। दरअसल गोरखपुर शहर के मुख्य बाज़ार गोलघर में गोरखनाथ मंदिर से संचालित इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले कुछ छात्र एक दुकान पर कपड़ा ख़रीदने आये और उनका दुकानदार से विवाद हो गया। दो दिन बाद दुकानदार के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग को लेकर इस युवा योगी की अगुवाई में छात्रों ने प्रदर्शन किया और वे एसएसपी आवास की दीवार पर भी चढ़ गये। खबरें खूब छपी। खूब हो हल्ला हुआ। और इस आंदोलन में एक नया चेहरा सामने आया। युवा योगी आदित्यनाथ का जो आज भारतीय राजनीति का एक चमकता सितारा है।
आदरणीय प्रधानमंत्री जी,
आपकी शुभेच्छाओं और शुभकामनाओं के लिए हृदय की गहराइयों से आभार।आपकी प्रेरणा व कुशल मार्गदर्शन में हम सभी पूर्ण सामर्थ्य के साथ ‘नए भारत, सशक्त भारत’ के निर्माण में योगदान करते रहें, ऐसी प्रभु श्री राम से प्रार्थना करता हूं। https://t.co/mwxFltGNfo
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) June 5, 2020
योगी आदित्यनाथ ने इस घटना के कुछ समय पहले ही 15 फरवरी 1994 को नाथ संप्रदाय के सबसे प्रमुख मठ गोरखनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी के रूप में अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा ली थी। गोरखपुर की राजनीति में एक ‘एंग्री यंग मैन’ की यह धमाकेदार एंट्री थी।
उस समय गोरखपुर की राजनीति पर दो बाहुबली नेताओं हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र प्रताप शाही की पकड़ कमज़ोर हो रही थी। युवाओं ख़ासकर गोरखपुर विश्वविद्यालय के सवर्ण छात्र नेताओं को इस ‘एंग्री यंग मैन’ में हिंदू महासभा के अध्यक्ष रहे महंत दिग्विजयनाथ की ‘छवि’ दिखी और वो उनके साथ जुड़ते गये।
आदित्यनाथ उत्तराखंड स्थित पैतृक गांव पंचूर से गोरखपुर आये और दीक्षा लेकर संन्यासी बन गये। मां-बाप ने भी बेटे के फैसले के आगे हार मान ली। योगी ने पहली बार गोरखनाथ मंदिर के बाहर निकलकर छात्रों का नेतृत्व किया और पहली बार में ही योगी नायक बन गये थे। बहरहाल योगी आज 48 वर्ष के हो गये हैं। इनका जन्म 5 जून 1972 को पिचूर गाँव, यमकेश्वर तहसील पौढी गडवाल उत्तराखंड में एक राजपूत परिवार में हुआ था।
1989 में इन्होने ऋषिकेश के भरत मन्दिर इन्टर कॉलेज से 12th पास करी और सन 1992 में हेमवती नन्दन बहुगुणा गडवाल विश्वविद्यालय से इन्होने गणित में B.Sc की। 1993 में गोरखपुर आये और यहाँ उनकी मुलाक़ात गोरखनाथ मन्दिर के महंत अवैधनाथ जी से हुई। महंत अवैधनाथ जी इनके जानकार थे। योगी जी ने अवैधनाथ जी से दिक्षा ले ली। सन 1994 में सन्यासी बन गये। सन 1998 में योगी जी ने गोरखपुर लोकसभा सीट से पहली बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा और वो जीत गये। 12वीं लोकसभा चुनाव में वो सबसे कम उम्र के सांसद थे। उस समय उनकी उम्र केवल 26 वर्ष की थी। योगी इस लोकसभा सीट से लगातार 5 बार सांसद चुने गये।
योगी आदित्यनाथ हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, हिंदू युवा वाहिनी संगठन हिन्दू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है। ये संगठन हमेशा किसी न किसी विवाद में उलझा रहा। इस संगठन पर 2005 में मऊ में हुये फसाद का आरोप भी लगा था। यह भारतीय जनता पार्टी के विधायक कृष्णानंदा राय कांड के आरोपी मुख़्तार अंसारी को लेकर हुआ था।