देश भर में लागू लॉकडाउन और तमाम सख़्तियों के बीच कर्नाटक के कलबुर्गी में गुरुवार को आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम में हज़ारों की संख्या में लोग इकट्ठे हो गए। ये लोग सिद्धालिंगेश्वर मेले में भाग लेने के लिए इकट्ठे हुए थे। इंडिया टुडे के मुताबिक़, इस घटना का जो वीडियो सामने आया है, उसमें हज़ारों लोग एक रथ को खींच रहे हैं। वीडियो में लोगों को कंधे से कंधा मिलाकर रथ को खींचते हुए देखा जा सकता है। इस दौरान न तो लॉकडाउन की कोई फिक्र की गई और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा गया। यह मेला कलबुर्गी जिले के चिट्टापुर तालुका में आयोजित किया गया था।
कलबुर्गी वह जिला है, जहां भारत में कोरोना वायरस से पहली मौत हुई थी। लॉकडाउन के बीच इस मेले में हज़ारों लोग इकट्ठा हो गये लेकिन स्थानीय पुलिस और जिला प्रशासन ने उन्हें रोकने की कोई कोशिश नहीं की। यह मेला ऐसे दिन आयोजित किया गया, जब कर्नाटक में एक दिन में कोरोना वायरस से संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले सामने आए। गुरुवार को राज्य में 34 नये कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं। राज्य में अब तक 315 लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और 13 लोगों की मौत हो चुकी है।
इससे पहले 10 अप्रैल को कर्नाटक बीजेपी के विधायक एम. जयराम ने अपना बर्थडे जोर-शोर से मनाया था। इस मौक़े पर उनके सैकड़ों समर्थक जमा हुए थे और बड़ा चॉकलेट केक काटा गया था। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बच्चों को भी बुलाया गया था। बर्थडे में शामिल हुए लोगों को बिरयानी भी परोसी गई थी। एक ओर देश भर में 3 मई तक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू है, कर्नाटक की बीजेपी सरकार लॉकडाउन को 30 अप्रैल तक बढ़ा चुकी है लेकिन दूसरी ओर राज्य में धार्मिक उत्सव मनाए जा रहे हैं, विधायकों के बर्थडे में भीड़ जुट रही है।
जब पूरा देश कोरोना से जूझ रहा है, करोड़ों लोग घरों में क़ैद हैं, ऐसे समय में धार्मिक उत्सव के लिए जुटने वाले लोग तो कसूरवार हैं ही, उससे ज़्यादा कसूरवार वे लोग हैं, जिन्होंने उन्हें ऐसा करने दिया। कोरोना वायरस के संक्रमण के इस बेहद कठिन समय में ऐसे उत्सव होने देने के लिए स्थानीय प्रशासन, राज्य सरकार ही जिम्मेदार है। क्योंकि ऐसा नहीं हो सकता कि इतनी सख़्ती के बीच किसी कार्यक्रम में हज़ारों लोग जुट जाएं और प्रशासन को पता ही न चले।
INPUT-SATYA HINDI