अब केले के तने से निकाले गए रेशे से बना मास्क लगाएं। यह पूरी तरह सुरक्षित होने के साथ ही कोरोना वायरस से बचाव में कारगर है। विशेषज्ञों के अनुसार यह ईको फ्रेंडली, एंटी बैक्टीरियल और वेदरप्रूफ है। समस्तीपुर में इसका निर्माण हो रहा। जल्द ही बिक्री के लिए दुकानों के अलावा अमेजन पर उपलब्ध होगा। मास्क नमूना के तौर पर मुख्यमंत्री कार्यालय भी भेजा गया है।
केले के तने को पहले प्रोसेस कर रेशा निकाला जाता है। फिर हैंडलूम से कपड़ा बनाया जाता है। मास्क की सिलाई के दौरान पहले लेयर में कॉटन और दूसरे में रेशे का कपड़ा लगाया जाता है। इसे धोकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। एक मास्क बनाने में 20 से 25 रुपये खर्च आ रहा। मास्क का ब्रांड नेम ‘बनाफेसोÓ रखा गया है।
सांस फूलने की कम होगी समस्या
फिजिशियन डॉ. आरके सिंह कहते हैं कि केले के तने के जूस में एंटी बैक्टीरियल तत्व रहता है। इस तरह का मास्क लगाने से सांस फूलने जैसी समस्या कम होगी। कोरोना से बचाव के लिए यह बेहतर विकल्प है। सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. डीके शर्मा ने बताया कि केले के रेशे से बना कपड़ा बॉयोडिगे्रडेबल और हाइजीनिक है। इसका मास्क इस्तेमाल के बाद मिट्टी में डाल देने से जल्द गल जाएगा। इससे संक्रमण फैलने का खतरा नहीं रहेगा।
ऑनलाइन बिक्री के लिए अमेजन से चल रही बात
इस मास्क को बनाने वाली समस्तीपुर के मोहिउद्दीनगर की पूजा सिंह ने पांच साल पहले केले के तने के रेशे पर काम की शुरुआत की थी। बेंगलुरु से फैशन डिजाइनिंग करने के बाद वर्ष 2010 में तमिलनाडु जाकर यह कार्य सीखा था। वहीं से रेशा निकालने वाली मशीन भी मंगाई। यहां उससे कपड़ा बनाती हैं। वह बताती हैं कि कोरोना के चलते जब शुरुआत में लोग मास्क को लेकर परेशान थे, तब यह विचार आया।
फिलहाल सैंपल के रूप में 25 मास्क तैयार किया गया है। टीम के साथ प्रतिदिन तीन हजार मास्क बनाने की योजना है। दुकानों के अलावा ऑनलाइन बिक्री के लिए अमेजन से बात चल रही है। मास्क का नमूना मुख्यमंत्री कार्यालय भी भेजा है। ज्ञात हो कि केला पर उद्योग स्थापित करने को लेकर एक कार्यक्रम में मार्च 2015 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूजा को सम्मानित कर चुके हैं।
Input : Dainik Jagran